राष्ट्रीय एमबीबीएस कोटे में ओबीसी आरक्षण के लिए कानून चाहती है पीएमके

चेन्नई, 25 जून (आईएएनएस)। पीएमके के संस्थापक-नेता डॉ. एस. रामदास ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से अखिल भारतीय मेडिकल कोटे के तहत एमबीबीएस सीटों के लिए प्रवेश में ओबीसी आरक्षण के लिए कानून बनाने का आह्वान किया है।

उन्होंने मांग की है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण प्रदान करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

पीएमके नेता ने एक बयान में कहा कि इसे लागू होने के 35 साल बाद अखिल भारतीय चिकित्सा कोटा के तहत ओबीसी को आरक्षण देने से इनकार करना उचित नहीं है।

यह दावा करते हुए कि ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा निर्धारित शर्तें देरी की रणनीति लगती हैं, उनका कहना है कि वे इसे लागू करने के इच्छुक थे। रामदास ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट में लंबित एक मामले में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया के कारण उन्हें संदेह है।

यह दावा करते हुए कि केंद्र सरकार के पास मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने या औपचारिक जवाब देने का कोई कारण नहीं है, उन्होंने कहा कि एमबीबीएस प्रवेश के लिए अखिल भारतीय कोटे में ओबीसी आरक्षण के संबंध में मद्रास हाईकोर्ट में लंबित एक मामले पर केंद्र सरकार ने कहा था कि वह आरक्षण देने को तैयार है, लेकिन सलोनी कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फैसला लिया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान किए हैं कि अखिल भारतीय कोटा ओबीसी आरक्षण, केंद्रीय आरक्षण या राज्य द्वारा अपनाई जाने वाली आरक्षण नीतियों के आधार पर प्रदान किया जा सकता है। मद्रास उच्च न्यायालय का यह निर्देश 27 जुलाई, 2020 को आया था।

उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था और पिछले साल 21 अक्टूबर को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के समक्ष सिफारिशें दायर की गई थीं। समिति ने कहा था कि ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी आरक्षण देना संभव है।

रामदास ने यह भी कहा, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अंबुमणि रामदास और अन्य द्वारा दायर एक मामले में अखिल भारतीय चिकित्सा कोटा में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं करने का कोई कारण नहीं था। कहा गया कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट आरक्षण पर फैसला सुना सकता है। केंद्र एक समिति बनाकर निर्णय ले सकता है और इसे उसकी सिफारिशों के आधार पर लागू किया जा सकता है।

–आईएएनएस

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