नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)| सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी जमा और उधारी दरों को रेपो दर से जोड़ने की कोई जल्दबाजी नहीं है, जैसा कि भारतीय स्टेट बैंक कर रहा है, जो आगे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ग्राहकों को कम ब्याज दर नहीं देने के लिए और परेशान कर सकता है।
इसमें से कुछ स्वीकारते हैं कि आखिरकार रेपो दर से जोड़ा जा सकता है, लेकिन वे इस समय इस तरह की प्रतिबद्धता को लेकर दृढ़ नहीं है।
इसके अलावा कई पीएसयू बैंकों से यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने रेपो दर से जोड़े जाने वाले बाह्य मानदंडों की योजना बनाई है, इस पर पीएसयू बैंकों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
पंजाब नेशनल बैंक के एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन बैंक जल्दी ही फैसला लेगा। दूसरे बैंकों को भी इस देर सबेर ऐसा करना होगा।”
बैंक ऑफ इंडिया के एक सूत्र ने कहा कि कोई भी इस तरह का फैसला नहीं लिया गया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए।
एसबीआई के साथ इन बैंकों ने ज्यादातर कर्जो व जमा को किनारे किया है। आईडीबीअई बैंक ने इन सवालों पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
एसबीआई ने जमा, ऋण ब्याज को आरबीआई के रेपो रेट के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़े जाने पर आपत्ति जताई थी।
एसबीआई ने अपने बचत बैंक दरों (एक लाख रुपये से ज्यादा की सीमा) को बाह्य बेंचमार्क से जोड़ा।
ऐसा करके एसबीआई अपनी ब्याज दरों को जमा व कर्ज के साथ एक मई, 2019 से बाह्य बेंचमार्क को जोड़ने की घोषणा करने वाला पहला बैंक बन गया। इसका अनुसरण इसके साथियों द्वारा किए जाने की उम्मीद है।