वेस्ट टू एनर्जी परियोजना से सत्ताधारी दल के आपसी मतभेद सतह पर

भाजपा विधायक की महत्वाकांक्षी परियोजना पर शहराध्यक्ष के समर्थक का ऐतराज!

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

हमारे बीच कोई गुटबाजी या मतभेद नहीं है, यह दावा करते करते न थकने वाले भाजपा विधायकों का दावा उनके समर्थकों द्वारा लगातार विफल बनाया जा रहा है। पिंपरी चिंचवड़ मनपा की सत्ताधारी भाजपा के विधायक महेश लांडगे की महत्वाकांक्षी माने जाने वाली वेस्ट टू एनर्जी परियोजना पर भाजपा के ही दूसरे विधायक व शहराध्यक्ष लक्ष्मण जगताप गुट द्वारा विरोध किया जा रहा है। इस गुट की नगरसेविका माया बारने ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस परियोजना से नगरसेवकों के अनजान रहने का दावा करते हुए पूरी जानकारी और लाभ- नुकसान का ब्यौरा मिलने तक इस परियोजना को लेकर अपना विरोध कायम रहने की जानकारी दी।

विधायक लांडगे के निर्वाचन क्षेत्र भोसरी में 208 करोड़ रुपये की लागत वाली वेस्ट टू एनर्जी परियोजना भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ खुद लांडगे का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। लांडगे के खेमे से इस परियोजना पर उठने वाली हर उंगली को मुंह तोड़ जवाब देने और हर हाल में इसे मंजूरी दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसी परियोजना से उनके और शिवसेना सांसद शिवाजी आढलराव पाटिल के बीच ‘बयान वॉर’ भी छिड़ा रहा। अब इसका प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए 20 अप्रैल को होने जा रही सर्व साधारण सभा में पेश किया जा रहा है। इसे हर हाल में मंजूरी मिले इसके लिए तमाम एहतियात बरती जा रही है। सभागृह नेता एकनाथ पवार ने पार्टी मीटिंग में इसका व्हिप (पक्षादेश) भी जारी किया है

पक्षादेश जारी होने के साथ खुद सत्ताधारी भाजपा के दूसरे खेमे से इस परियोजना का विरोध शुरू हो गया है। शहराध्यक्ष लक्ष्मण जगताप की कट्टर समर्थक नगरसेविका माया बारने ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में इस परियोजना पर सवाल उठाते हुए अपना विरोध जताया। यह परियोजना डीबीओटी तत्व पर चलायी जानी है। इसका उद्देश्य क्या, मशीनरी कहां से आएगी, पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, बननेवाली राख का निपटारा कैसे होगा, कितनी बिजली निर्मिति होगी, उसे कहां इस्तेमाल किया जायेगा, किसे बेचा जाएगा? जैसे कई सवाल उन्होंने उठाए हैं। प्रशासन को इन सभी सवालों का स्पष्टीकरण देना चाहिए, यह मांग भी उन्होंने की है। बारने के सवालों से इस परियोजना को लेकर सत्ताधारी दल ने अपने नगरसेवकों को विश्वास में नहीं लिया है, यह साबित होता है। साथ ही इस विरोध से भाजपा विधायकों के गुटों के बीच जारी मनमुटाव भी उजागर हो गया है।