वेस्ट टू एनर्जी विवाद: घरेलू कलह का लाभ उठाते विपक्ष ने तय की सत्तादल को घेरने की नीति

सर्वसाधारण सभा में घमासान के आसार; भाजपा ने भी कसी कमर

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
उच्च नेताओं की विशेष ‘रुचि’ और भोसरी के विधायक महेश लांडगे की महत्वाकांक्षी समझे जा रही वेस्ट टू एनर्जी परियोजना पर सत्ताधारी भाजपा में गृहकलह शुरू हो गया है। बीते दिन पार्टी की नगरसेविका व भाजपा के शहराध्यक्ष लक्ष्मण जगताप की कट्टर समर्थक माया बारने द्वारा इस परियोजना को लेकर अपना विरोध जताया। इसे सत्तादल को आड़े हाथ लेने का अवसर मानकर राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना ने भाजपा को घेरने की नीति बना ली है। इसके चलते कल (शुक्रवार) होनेवाली सर्वसाधारण सभा में घमासान छिड़ने के आसार तेज हो गए हैं। हांलाकि सत्तादल ने भी इसे भांपते हुए पूरी तैयारी की है। जरूरत पड़ने पर सभा में वेस्ट टू एनर्जी परियोजना का प्रस्तुतिकरण देने के लिए सम्बंधित विभाग को तैयार रहने के आदेश दिए गए हैं।

विधायक लांडगे के निर्वाचन क्षेत्र भोसरी में 208 करोड़ रुपये की लागत वाली वेस्ट टू एनर्जी परियोजना भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ खुद लांडगे का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। लांडगे के खेमे से इस परियोजना पर उठने वाली हर उंगली को मुंह तोड़ जवाब देने और हर हाल में इसे मंजूरी दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसका प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए कल 20 होने जा रही सर्वसाधारण सभा में पेश किया जा रहा है। इसे हर हाल में मंजूरी मिले इसके लिए तमाम एहतियात बरती जा रही है। सभागृह नेता एकनाथ पवार ने पार्टी मीटिंग में इसका व्हिप (पक्षादेश) भी जारी किया है।पक्षादेश जारी होने के साथ खुद सत्ताधारी भाजपा के दूसरे खेमे से इस परियोजना का विरोध शुरू हो गया है। शहराध्यक्ष लक्ष्मण जगताप की कट्टर समर्थक नगरसेविका माया बारने ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस परियोजना पर सवाल उठाते हुए अपना विरोध जताया।

यह परियोजना डीबीओटी तत्व पर चलायी जानी है। इसका उद्देश्य क्या, मशीनरी कहां से आएगी, पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, बननेवाली राख का निपटारा कैसे होगा, कितनी बिजली निर्मिति होगी, उसे कहां इस्तेमाल किया जायेगा, किसे बेचा जाएगा? जैसे कई सवाल उन्होंने उठाए हैं। इन सवालों के स्पष्टीकरण की मांग भी उन्होंने की है। बारने के विरोध से सत्तादल भाजपा में गृहकलह छिड़ गया है। इसका लाभ उठाने के लिहाज से विपक्षी दलों ने सर्वसाधारण सभा में इस प्रस्ताव पर भाजपा को घेरने की नीति बनाई है। उसी में आज इस परियोजना पर आयोजित कार्यशाला रद्द होने से यह विवाद गहराने के आसार हैं। हांलाकि इस प्रस्ताव को हर हाल में मंजूरी दिलाने की तैयारियों में जुटी भाजपा ने भी इस घमासान का सामना करने के लिए कमर कस ली है। यह परियोजना जिस विभाग के मातहत में आती है, उसे जरूरत पड़ने पर परियोजना का प्रस्तुतिकरण देने के लिए तैयार रहने के आदेश दिए हैं। सभागृह नेता एकनाथ पवार ने दावा किया है कि, सभी सदस्यों की शंकाओं का पूरी तरह से निवारण किया जाएगा।