शांति प्रक्रिया से कश्मीर मुद्दे को जोड़ना अफगानिस्तान को मंजूर नहीं

वाशिंगटन, 19 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद खान के बयान, ‘कश्मीर में तनाव अफगान शांति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है’ के खिलाफ अफगानिस्तान ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे ‘लापरवाह, अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना’ करार दिया है। अमेरिका में अफगानिस्तान की राजदूत रोया रहमानी के बयान के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक ‘द्विपक्षीय’ मुद्दा था और इस्लामाबाद द्वारा ‘कश्मीर के साथ अफगान मुद्दे को जानबूझकर जोड़ने की मंशा अफगानिस्तान की धरती पर हो रही हिंसा को और खींचने के लिए किया गया एक सोचा-समझा प्रयास है।’

उन्होंने आगे कहा, “यह पाकिस्तान द्वारा तालिबान के खिलाफ अपनी निष्क्रियता को सही ठहराने और आतंकवादी समूह के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाने से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक गंदा बहाना है।”

रहमानी ने पाकिस्तान के इस दावे की भी धज्जियां उड़ा दीं कि कश्मीर तनाव के कारण इस्लामाबाद अफगानिस्तान के साथ लगती पश्चिमी सीमा से भारत से लगती पूर्वी सीमा पर अपने सैनिकों को स्थानांनतरित कर सकता है।

रहमानी ने कहा, “अफगानिस्तान से पाकिस्तान को कोई खतरा नहीं है। अफगान सरकार को पाकिस्तान के लिए अपनी पश्चिमी सीमा पर हजारों सैन्य टुकड़ियों को तैनात रखने की कोई विश्वसनीय वजह नजर नहीं आ रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “इसके विपरीत अफगानिस्तान की शांति को पाकिस्तान आधारित और समर्थित आतंकवादी और आतंकवादी समूहों द्वारा अक्सर धमकी दी जाती है।” उन्होंने बताया कि इन आतंकवादी समूहों ने लगातार अफगान सुरक्षा को कमजोर किया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में मजीद खान ने कहा था कि भारत का कश्मीर पर फैसला हमारे लिए इससे बुरा समय नहीं आ सकता था, “क्योंकि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों के तहत तालिबान द्वारा लंबे समय से घुसपैठ किए गए अफगान सीमा पर सैन्य नियंत्रण को मजबूत करने की कोशिश की थी।”