शिवपाल की वापसी पर अखिलेश ने कहा, ‘सबके लिए दरवाजे खुले’

लखनऊ, 20 सितंबर (आईएएनएस)| समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को पार्टी में वापस लेने के सवाल पर शुक्रवार को यहां कहा कि उनके परिवार में परिवारवाद नहीं, बल्कि लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि जो अपनी विचारधारा पर चलना चाहे वह स्वतंत्र है और जो आना चाहे उसे वह पार्टी में आंख बंद करके शामिल कर लेंगे। अखिलेश ने कहा कि सपा के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। अखिलेश यादव ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शिवपाल यादव के पार्टी और परिवार में वापसी के सवाल पर कहा, “परिवार एक है, कोई अलग नहीं है। हमारे ऊपर आरोप लगते हैं, लेकिन परिवार में कोई फूट नहीं है। यहां पर लोकतंत्र है। हमारा परिवार अलग नहीं है। जो जिस विचारधारा में जाना चाहे जाए और जो वापस आना चाहता है आए। यहां सबके लिए दरवाजे खुले हैं। जो आना चाहे, उसे शामिल कर लेंगे।”

इस दौरान बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे चुके दयाराम पाल सपा में शामिल हुए। उन्होंने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा और कहा कि “उप्र सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। डॉ. आंबेडकर, लोहिया जी और कांशीराम जी के सपने को पूरा करने के लिए सपा परिवर्तन का काम करेगी।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि “पहले डिवाइड एंड रूल था, अब डराओ एंड रूल हो रहा है। डिवाइड एंड रूल वालों को देश से भगा दिया गया, अब डराने वाले लोग भी बाहर जाएंगे। यह सरकार झूठे केस, सीबीआई, ईडी और आईटी का डर दिखाने वाली है। इससे बचे तो प्लांटेड खबरें चलवाकर दूसरों को बदनाम करती है।”

भाजपा नेता चिन्मयानंद की गिरफ्तारी पर सपा मुखिया ने कहा, “कानून अपना काम करेगा, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पीड़ित बेटी को न्याय दिलाएंगे, यह हमें विश्वास है।”

सपा सांसद आजम खां का बचाव करते हुए अखिलेश ने कहा कि वह पूछना चाहते हैं कि “शिकायतकर्ता 10 साल, 12 साल चुप रहे। योगी सरकार के दो साल बीत गए एक भी मामला सामने नहीं आया। लोकसभा का चुनाव खत्म हुआ और दबाव में लोग बाहर निकलकर आ गए।”

अखिलेश ने कहा, “गंगा में नाले गिर रहे हैं। नदियों की सफाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। अगर नदियों को साफ करना है तो रिवर फ्रंट जैसा काम होना चाहिए। जैसे ही चुनाव आएगा, वैसे ही भाजपा के लिए गंगा और गाय मां हो जाएंगी।”

गौरतलब है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का मानना है कि परिवार में एकता की गुंजाइश है, लेकिन कुछ षड्यंत्रकारी (साजिशकर्ता) लोग परिवार को एक होने नहीं देना चाह रहे हैं।