सिद्धू ने ट्वीट कर कहा, लोकतंत्र में, कानून लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं, माननीय अदालतों या समितियों द्वारा नहीं..। किसी भी मध्यस्थता, बहस या चर्चा किसानों और संसद के बीच होनी चाहिए।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, न्याय? -आप अगली दुनिया में न्याय पाएंगे, इस दुनिया में आपको सिर्फ कानून मिलेंगे! कानून ज्यादा, न्याय कम।
सिद्धू के इस बयान के एक दिन बाद किसान यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों को अंतरिम उपाय के रूप में फिलहाल लागू करने पर रोक लगा दी है, जो एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन समाधान नहीं है।
पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान यूनियनों के छाता संगठन की ओर से यह बयान जारी किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और कृषि कानूनों के बारे में किसान संघों की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति भी बनाई है।
–आईएएनएस
एसजीके