सत्ता की सालगिरह; निष्ठावानों व जीत का सेहरा पहनानेवालों के हाथ खाली ही

संतोष मिश्रा

पिम्परी। पुणे समाचार ऑनलाइन

बीते 15 सालों से पिम्परी चिंचवड़ मनपा और शहर पर एकछत्र शासन करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस की सत्ता उखाड़ फेंक ऐतिहासिक जीत हासिल करनेवाली भाजपा आज मनपा में अपनी सत्ता की सालगिरह मना रही है। इस एक साल में ही पार्टी ने काफी उतारचढ़ाव देख लिए। कई उपलब्धियां हासिल की, विपक्षी दलों का निशाना बनी, विपक्ष के साथ ‘अपनों’ से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही। इन तमाम उतारचढ़ाव के बीच भाजपा सत्ता की सालगिरह मना रही है। उपलब्धि और कमियों पर गौर करें तो साल भर बाद भी पार्टी के उन पुराने निष्ठावानों, जिन्होंने प्रतिकूल हालातों में भी भाजपा का दामन नहीं छोड़ा और उसका वजूद बनाये रखा एवं उन दिग्गजों, जिन्होंने मनपा चुनाव में पार्टी को जीत का सेहरा पहनाया, के हाथ आज भी खाली नज़र आते हैं।

एक साल पूर्व तक पिम्परी चिंचवड़ में भाजपा अपना वजूद तलाशते और बनाये रखने की जद्दोजहद में नजर आती रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर से पुराने भाजपाइयों में ‘अच्छे दिनों’ की उम्मीद जागी। पिम्परी चिंचवड़ मनपा पर भाजपा का परचम लहरायेगा और महापौर पार्टी का होगा यह सपना साकार होने की आस जगी। विधानसभा चुनाव में राष्टवादी कांग्रेस के दिग्गज नेता लक्ष्मण जगताप और चुनाव के बाद दूसरे कद्दावर नेता विधायक महेश लांडगे ने भाजपा की कमान अपने हाथों में ली। मनपा चुनाव में सत्ता का आंकड़ा पाने में रही सही कसर तब दूर हो गयी जब राष्ट्रवादी के सबसे शक्तिशाली नेता आझमभाई पानसरे ने भाजपा का दामन थामा। इन दिग्गजों ने भाजपाइयों का वह सपना साकार कर दिखाया जो उन्होंने सालों से देखा था। मनपा पर भाजपा का परचम लहराया और महापौर से लेकर सबकुछ भाजपा यह तस्वीर सामने आई।

सत्ता आने से पूर्व अच्छे दिन का इंतजार कर रहे भाजपा के पुराने निष्ठावानों को टिकट वितरण में इंसाफ नहीं मिल सका, क्योंकि सत्ता लाने की जिम्मेदारी दोनों विधायक और आझमभाई पर सौंपे जाने से टिकट वितरण पर पूरा नियंत्रण उन्हीं का रहा। खासकर दोनों विधायकों ने तो पूरी कमान अपने हाथों में ही रखी। जिन पुराने भाजपाइयों को टिकट मिला वह कैसे हासिल किया, उन्हीं का दिल जानता है। सत्ता आने के बाद भी उनके हाथ खाली ही रहे। जो लोग नगरसेवक चुने गए उन्हें मनपा के अहम पदों तक पहुंचने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। एकनाथ पवार को सभागृह नेता, शैलजा मोरे को उपमहापौर, एड मोरेश्वर शेंडगे और माउली थोरात को स्वीकृत नगरसेवक पद के अपवाद छोड़ दिए जाय तो पुराने भाजपाइयों के हाथ निराशा ही लगी है।

ये तो रही पुराने भाजपाइयों की बात, हाथ तो उनके भी खाली है जिन्होंने भाजपा को मनपा चुनाव की जीत का सेहरा पहनाया। मनपा में सत्ता आने के बाद दोनों विधायकों में से एक को मंत्री पद और दूसरे को कैबिनेट दर्जे का महामंडल देने का आश्वासन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिया था। इसके अलावा आझमभाई पानसरे के राजनीतिक पुनर्वसन का भरोसा भी उन्होंने दिलाया था। मनपा में सत्ता आने को एक साल बीत गया, लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी करीब आते जा रहे हैं। अब इन दिग्गजों को दिया गया आश्वासन कब पूरा होगा? यह सवाल सियासी गलियारे में उठाया जा रहा है। अब तो इन नेताओं के समर्थकों में उनके आकाओं के साथ नाइंसाफी किये जाने की भावना घर कर रही है।