समुद्री नाविकों को मिलेंगी सुविधाएं, केंद्र से 225 करोड़ रुपये का करार

मुंबई, 2 मार्च (आईएएनएस)। नेशनल यूनियन ऑफ सीफेयर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) ने विगत तीन महीने में तीसरी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 225 करोड़ रुपये से विभिन्न वर्गो के चार लाख से अधिक भारतीय समुद्री नाविकों को कई प्रकार के लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से एनयूएसआई ने केंद्र सरकार के साथ छह समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। एनयूएसआई के एक शीर्ष पदाधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।

मंगलवार से शुरू होने वाले महत्वपूर्ण समुद्री भारत शिखर सम्मेलन (एमआईएस) से पहले एनयूएसआई के महासचिव अब्दुलगनी वाई. सेरांग और नौवहन महानिदेशक अमिताभ कुमार के बीच एनयूएसआई 125वीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

सेरांग ने आईएएनएस को बताया कि भारतीय समुद्री इतिहास में पहली बार समुद्री नाविकों के कल्याण, प्रशिक्षण, चिकित्सा, शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं के लिए छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

समझौता ज्ञापनों के दायरे में जिन बातों को शामिल किया गया है उनमें प्रमुख हैं – सभी समुद्री नाविकों को कोविड-19 टीकाकरण के लिए वित्तीय सहायता, समुद्री नाविकों या उनके परिवारों को स्वीडन स्थित वर्ल्ड मेरिटाइम यूनिवर्सिटी के इंडियन चैप्टर में अध्ययन के लिए स्पॉन्सरशिप प्रदान करना, और नि:शुल्क कौशल संवर्धन प्रशिक्षण।

एनयूएसआई के प्रवक्ता सुनील नायर ने कहा कि इन समझौतों में जिन अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया है उनमें समुद्री नाविकों एवं उनके परिवारों को चिकित्सा और शिक्षा सहायता, और सेवानिवृत्त/ दिवंगत समुद्री नाविकों के परिजनों को शैक्षिक मदद शामिल हैं।

एनयूएसआई ने दावा किया कि विगत तीन महीनों के अंदर संगठन की यह तीसरी बड़ी उपलब्धि है और वह भी ऐसे समय में जब कोविड महामारी से न केवल भारत, बल्कि विश्व भर के नौवहन उद्योग बुरी तरह जूझ रहे हैं।

गौरतलब है कि दिसंबर में एनयूएसआई और एफएसयूआई ने इंडियन नेशनल शिपओनर्स एसोसिएशन (आईएनएसए) के साथ सभी नाविकों के लिए 40 प्रतिशत वेतन वृद्धि के लिए एक समझौता किया।

जनवरी में सरकार ने एनयूएसआई द्वारा वर्षों के संघर्ष के बाद भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, और सभी भारतीय या विदेशी ध्वजवाहक जहाजों पर सेवा देने वाले हर रैंक के समुद्री नाविकों को पेंशन देने पर सहमति व्यक्त की।

जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से उनकी इन मांगों को स्वीकार कर लिया गया है।

–आईएएनएस

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