सर्वोच्च न्यायालय को जोड़कर राफेल पर टिप्पणी के लिए राहुल ने माफी नहीं मांगी (लीड-1)

नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)| कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से भाजपा द्वारा उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिका को खारिज करने का आग्रह किया और इसे एक राजनीतिक कदम और उन्हें मौजूदा चुनाव के दौरान एक राजनीतिक चर्चा में उलझाए रखने का प्रयास करार दिया।

राहुल ने अपने हलफनामे में कहा कि 22 अप्रैल को अदालत के समक्ष दाखिल स्पष्टीकरण सामग्री व्यापक थी और इसे मौजूदा जवाब के अभिन्न अंग के रूप में पढ़ा जा सकता है।

अदालत में दाखिल दोनों स्पष्टीकरण हालांकि एकसमान हैं। हलफनामे में खेद जताया गया है, लेकिन माफी नहीं मांगी गई है।

राहुल ने कहा कि मीनाक्षी लेखी अवमानना याचिका दाखिल कर अदालत को एक राजनीतिक विवाद में घसीटना चाह रही हैं और इससे राजनीतिक फायदा उठाना चाह रही हैं। उन्होंने कहा कि लेखी को इस अवमानना याचिका को दाखिल कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए भुगतान करना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने 10 अप्रैल को अदालत के आदेश पर स्पष्टीकरण देने के लिए समान हलफनामा दाखिल किया था।

राहुल ने राफेल समीक्षा याचिका के लिए लीक हो चुके रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों के इस्तेमाल पर अदालत के आदेश पर कहा था कि न्यायालय ने कहा है कि ‘चौकीदार चोर है’। वह और उनकी पार्टी लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर राफेल मामले में निशाना साधने के लिए इस नारे का इस्तेमाल करते हैं।

राहुल ने इस बयान में अदालत का संदर्भ देने के लिए खेद जताया और कहा कि यह ‘चुनाव प्रचार के आवेश’ के दौरान घटित हो गया।

राहुल ने अपने शपथ-पत्र में कहा कि उनका बयान किसी भी तरह से अदालत को नाराज करने के लिए नहीं था।

राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पिछले हफ्ते मामले की सुनवाई के दौरान अदालत से कहा था कि अदालत ने उनके मुवक्किल को कोई नोटिस नहीं दिया है, बल्कि केवल स्पष्टीकरण मांगा है।

इसपर, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कांग्रेस अध्यक्ष को नोटिस जारी किया था।