सूखे तालाब, कुएं, झील और चेकडैम सब होंगे लबालब

लखनऊ, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार अब बुंदेलखंड क्षेत्र के तलाब, झील, कुओं को लबालब करने जा रही है। बुंदेलखंड में हर खेत को पानी और हर घर में नल पहुचाने के अपने अभियान पर भी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री योगी के तबज्जो के चलते जिलाधिकारियों की देखरेख में अब समूचे बुंदेलखंड में बारिश की बूंदों को बचाकर खेत तक पहुंचाने के लिए तमाम सूखे तालाबों को गहरा किया जा रहा है, पुराने कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, नए तालाब, कुएं और चैकडैम भी बनाए जा रहे हैं। ताकि बुंदेलखंड की प्यासी धरती पर बने तालाब, चेकडैम, झील आदि को इस बरसात में लबालब भर कर फसलों को लहलहाया जाए और भीषण गर्मी के दौरान लोगों को कुओं, झील और तालाब के जरिए पीने का पानी मिल सकें।

बुंदेलखंड में अपेक्षाकृत कम बारिश होती है। आये दिन सूखा पड़ना आम बात है। जिसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री योगी ने हर खेत को पानी मुहैया कराने के अपने संकल्प के तहत बुंदेलखंड में सिंचन क्षमता के विस्तार और वर्षा जल के संचयन पर जोर देना शुरू किया था। जिसके तहत बुंदेलखंड पैकेज के तीसरे चरण में कुल 269 चेकडैम और 219 तालाब बनाने का फैसला किया गया। लघु सिचाई विभाग के जरिए यह निर्माण कार्य होना था। इनमें से 163 चेकडैम और 93 तालाब बीते वर्ष तक बना दिए गए और अब 106 चेकडैम तथा 126 तालाब बनाए जाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। आगामी जून माह तक यह निर्माण कार्य पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बुंदेलखंड की सरजमीं पर व्यर्थ बह जाने वाले बारिश के पानी को रोकने के लिए बनाए जा रहे चेकडैम बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बुंदेलखंड के सातों जिलों में चेकडैम का निर्माण बरसाती नालों पर किया जा रहा है। बारिश के दौरान इन नालों से बड़ी मात्र में पानी व्यर्थ बह जाता है, जिसे चेकडैम से रोक लिया जाएगा। इसके दो फायदे हैं। एक तो अधिक समय तक पानी रुके रहने से जमीन में रीचार्ज होता है, वहीं तालाब, कुएं व नालों में एकत्र पानी सिंचाई के काम आता है। बनाए जा रहे इन चेकडैम और तालाबों से बुंदेलखंड की सूखती जमीन को काफी राहत मिलेगी।

झांसी के जिलाधिकारी ए वामसी खुद भी जिले में बनाए जा रहे चेकडैमम तालाब और कुओं के निर्माण पर नजर रख रहे हैं। हर हफ्ते वह खुद मौके पर जा कर तालाब, चेकडैम और कुओं के निर्माण की प्रगति का आंकलन कर रहे हैं। वामसी के मुताबिक, बुंदेलखंड में सूखा किसी से छिपा नहीं। यहां पर हर साल तालाब और जलाशय सूख जाते हैं। कुएं का पानी नीचे चला जाता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले हर जिले में पानी के लिए त्राहि-त्राहि हो जाती है। जिसे ध्यान में रहते हुए सैकड़ों तालाबों को गहरा किया जा रहा है, नए तालाब और चेकडैम बनाए जा रहे हैं। झांसी में सूखे से निपटने के लिए वन विलेज, वन पॉन्ड योजना भी शुरू की गई है। इसके तहत 405 गांव के तालाबों को पुनर्जीवित किया गया है। इसके इसी तरह से बुंदेलखंड के जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट जिले में भी चेकडैम, तालाब और कुएं बनाने तथा उनका जीणोद्धार करने संबंधी कार्य किए जा रहे हैं।

अधिकारियों के अनुसार बुंदेलखंड के हर खेत को पानी पहुंचाने की मंशा के तहत महोबा, हमीरपुर और बांदा के करीब 45000 हेक्टेयर खेतों को सिंचित करने वाले अर्जुन सहायक नहर भी इसी साल पूरी हो जाएगी। इसके पूरा होने से 1.5 लाख किसानों को लाभ होगा। इसके अलावा भवानी बांध, रसिन, लखेरी, रतौली, बंडई, मसगांव एवं चिल्ली, कुलपहाड़ एवं शहजाद बांध स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना और जाखलौन नहर प्रणाली की पुर्नस्थापना से करीब ललितपुर, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, महोबा की करीब 19000 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित होगी और 16,000 अधिक किसान लाभान्वित होंगे। सिचाई की उक्त योजनाओं को लेकर ही यह दावा किया जा रहा है, सूबे की यह सिचाई परियोजनाएं पूरी होने पर किसानों के खेतों को पानी मिलेगा और कृषि उत्पादन में इजाफा होगा। इसके साथ की किसानों की आय वृद्धि भी होगी। इन योजना और तालाब, चेकडैम और कुओं आदि के निर्माण तथा पुराने कुओं, तालाब आदि के कराए जा रहे जीर्णोंद्धार को लेकर अधिकारियों का दावा है कि इस बार बुंदेलखंड में सूखे तालाब, कुएं, झील और चेकडैम सब लबालब भरे दिखाई देंगे।

–आईएएनएस

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