सृजनशीलता ही उद्यमशीलता की जननी

फिनक्लेव २०१८ में नितिन पांमग की सलाह 

पुणे : उद्यमशील बनने के लिए आवश्यक सभी गुणों को अपने भीतर उतारना होगा. जिसके लिए लगातार अध्ययन एवं चिंतन करते हुए नए-नए उद्योगों को कैसे शुरू कर सकते है इस पर विचार हो. सृजनशीलता ही उद्यमशीलता की जननी है. इसलिए अपने पसंदीदा क्षेत्र का चयन करते हुए उसमें जान फूंकते हुए उद्योग की शुरूआत करे. यह सलाह मेफ्लॉवर कन्सलटिंग के कार्यकारी संचालक नितिन पांगम ने छात्रों को दी.

एमआइटी डब्ल्यूपीयू के एमआइटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की ओर से आयोजित एक दिवसीय नेशनल मैनेजमेंट फिनक्लेव२०१८ में बतौर मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे. आगे उन्होंने कहा सृजनशीलता ही उद्यमशीलता की जननी होने से लगातार नई-नई कल्पनाओं को बढावा देकर उसे प्रत्यक्ष साकार में उतारना है. राज्य सरकार की ओर से कई सामाजिक योजनाओं को चलाया जाता है. जिसकी जानकारी हासिल कर ग्रामिण क्षेत्रों में कौन-कौन से उद्योगों चला सकते है इस पर सोचना जरूरी है. वर्तमान दौर में र्ई-कॉमर्स इंडस्ट्रीज, लॉजिस्टीक व ट्रान्सपोर्ट, थ्रीडी प्रिंटिंग, मॅन्यूफैक्चरींग, ऑटो सेक्टर में ईलेक्ट्रीकल मोटर साइकल जैसे सैकडो उद्योगों में स्वर्ण अवसर खोजे. हमारे देश में ७० प्रतिशत मेडिकल उपकरण को आयात करना पडता है जिससे इस क्षेत्र में में भारी अवसर है.

मार्केटींग, एचआर और उचित वित्तीय नियोजन के बदौलत किसी भी उद्योग को सफलता की चोटी पर पहुंचा सकते है. उदा. अमेजान जैसी ई-कॉमर्स कंपनी सारी दुनिया में फैली है. कुछ ही साल पूर्व शुरू हुए इस व्यवसाय ने वित्तीय क्षेत्र के सारे गणितीय परिभाषा ही बदल डाली है. नई कल्पनाओं के बदलौत ही उद्योग को सफलता की चोटी पर पहुंचा सकते है.

इस समय ब्रैंड फाइनान्स इंडिया के राष्ट्रीय प्रमुख अंजूमन फ्रैन्सिस, प्रसन्न वालिंबे, डॉ. रेणुका देशमुख, एकेटी बिजनेस सर्वीस प्रा.लि. के अध्यक्ष माइकेल जेर्लिचेर तथा बैंक और व्यवसाय प्रक्रिया के सलाहकार सुब्रमण्यम शर्मा सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

एमआइटी डब्ल्यूपीयू के मैनेजमेंट की प्रा. डॉ. सायली गणकर ने अपनी प्रस्तावना में एमआइटी डब्ल्यूपीयू की विस्तृत जानकारी दी. कार्यक्रम का सूत्रसंचालन चयन बाहेती व प्रा. अजय नागरे ने सभी का आभार माना.