सोमवार तक धरती पर गिर सकता है चीन का स्पेस स्टेशन, आसमान में दिखेंगे आग के गोले; खतरे की आशंका नहीं

बीजिंग : चीन का पहला प्रोटोटाइप स्पेस लैब तियांगोंग-1 सोमवार को धरती पर क्रैश हो सकता है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी एयरोस्पेस कॉर्प के मुताबिक, तियांगोंग रविवार और सोमवार की दरमियानी रात को (भारतीय समयानुसार) धरती की कक्षा में आ सकता है। चीन की स्पेस एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने मई 2017 में ही एलान कर दिया था कि स्पेस लैब से उनका संपर्क मार्च 2016 के बाद कट गया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसके गिरने से किसी तरह का नुकसान होने की आशंका नहीं है। हालांकि, ये कहां गिरेगा इसकी भी कोई पुख्ता जानकारी अब तक नहीं आई है।

चीन के स्पेस स्टेशन की कुछ अहम बाते
क्या है चीन का तियांगोंग-1 स्टेशन?
– तियांगोंग-1 जिसका अंग्रेजी में हैवेनली प्लेसेज भी बुलाया जाता है चीन का पहला प्रोटोटाइप स्पेस लैब प्रोजेक्ट था। इसे बिना किसी यात्री के सितंबर 2011 में लॉन्च किया गया था। ये लैब पृथ्वी की कक्षा से 350 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया गया था। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा से करीब 400 किलोमीटर ऊपर मौजूद है।
– करीब 9.4 टन, 34 फुट लंबे और 11 फुट चौड़ी इस लैब के अंदर 530 क्यूबिक फीट की जगह मौजूद है। इसमें एक साथ दो लोगों के रहने की जगह थी। चीन के 2022 तक अंतरिक्ष में एक स्थाई स्पेस स्टेशन भेजने की राह में ये एक सफल मिशन था।

स्पेस से क्यों गिर रहा है तियांगोंग?
– चीन ने तियांगोंग-1 सिर्फ दो साल की टाइम लिमिट तक काम करने की लिया बनाया था। पहले चीन की योजना थी कि वे स्पेस लैब को पृथ्वी की कत्रा से बाहर कर देंगे, जिससे तियांगोंग अपने आप अंतरिक्ष में खत्म हो जाएगा। हालांकि, मई 2011 से मार्च 2016 तक करीब 5 साल काम करने के बाद ये चीनी स्पेस एजेंसी के नियंत्रण से बाहर हो गया। जिसकी वजह से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल ने इसे पृथ्वी के अंदर खींच लिया।

कहां गिर सकता है तियांगोंग?
– तियांगोंग-1 कहां गिरेगा इस बारे में स्पेस एजेंसियां अभी ठीक से अंदाजा नहीं लगा पाई हैं। माना जा रहा है कि ये ऑस्ट्रेलिया के तसमेनिया से लेकर साउथ अफ्रीका के केपटाउन तक कहीं भी क्रैश हो सकता है।
– हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों को इसकी चिंता करे की जरूरत नहीं है, क्योंकि पृथ्वी की कक्षा में पहुंचते ही ये जल कर बिखर जाएगा। आशंका है कि ये किसी महसागर में आग के गोले की तरह गिरता दिखेगा।

पहले भी पृथ्वी पर गिर चुके हैं स्पेस स्टेशन
– तियांगोंग से पहले कई और स्पेस स्टेशन भी अनियंत्रित होकर धरती पर क्रैश हो चुके हैं। सबसे पहला था नासा का 85 टन वजनी स्काईलैब स्पेस स्टेशन, जुलाई 1979 में हिंद महासागर में गिर गया था। इसका कुछ हिस्सा ऑस्ट्रेलिया के एस्पेरैंस शहर में भी गिरा था। शहर में गंदगी फैलाने को लेकर नासा पर 400 डॉलर्स (करीब 26 हजार रूपए) का जुर्माना भी लगाया गया था।
– इसके अलावा फरवरी 1991 में सोवियत यूनियन का 22 टन वजनी सैल्युत 7 अपनी कक्षा छोड़कर धरती पर क्रैश हो गया था। हालांकि, स्काईलैब और सैल्युत दोनों के ही अनियंत्रित होते वक्त उनमें कोई सवार नहीं था।
– 2001 में रूस का 140 टन वजनी स्पेस स्टेशन मीर अपनी कक्षा में अनियंत्रित हो गया था। हालांकि, वैज्ञानिकों ने उसे दोबारा नियंत्रित कर के क्रैश कराया था। 1986 में अंतरिक्ष में भेजा गया मीर दुनिया का पहला स्थाई स्पेस स्टेशन था।