स्टीफन हॉकिंग: ऐसी शख्सियत जिसने कभी हार नहीं मानी

विश्व विख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे हमें मुश्किलों से लड़ने का एक ऐसा पाठ पढ़ा गए हैं जो किसी का भी जीवन बदल सकता है। हॉकिंग का 76 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। वे एक ऐसी बीमारी से पीड़ित थे, जिसके चलते उनके शरीर के कई हिस्सों पर लकवा मार गया था। महज 21 साल की उम्र में जब हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन डिसीज़ ने जकड़ा, तो डॉक्टरों ने यह दिया था कि अब उनके पास दो या तीन साल ही हैं। लेकिन हॉकिंग ने इस बात को ग़लत साबित कर दिखाया। हालांकि एक दौर ऐसा भी आया जब हॉकिंग अवसाद के घोर अँधेरे में चले गए, उन्हें लगने लगा कि दुनिया उनके लिए ख़त्म हो चुकी है। उस वक़्त उनकी पत्नी उनके सबसे बड़े समर्थक के रूप में उभरकर सामने आईं। उन्होंने स्टीफन हॉकिंग को विश्वास दिलाया कि वह अभी भी बहुत कुछ कर सकते हैं। इस विश्वास ने हॉकिंग को इतना आत्म-विश्वासी बना दिया कि उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय खोज़ कीं। हॉकिंग ने सापेक्षता (रिलेटिविटी), ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम भूमिका निभाई थी।

बीमारी ने सबकुछ छीना पर हौसला नहीं     
1942 में ऑक्सफ़ोर्ड में जन्मे हॉकिंग के पिता रिसर्च बॉयोलॉजिस्ट थे और जर्मनी की बमबारी से बचने के लिए लंदन से वहां जाकर बस गए थे। हॉकिंग का पालन-पोषण लंदन और सेंट अल्बंस में हुआ और ऑक्सफ़ोर्ड से फ़िजिक्स में फ़र्स्ट क्लास डिग्री लेने के बाद वो कॉस्मोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट रिसर्च करने के लिए कैम्ब्रिज चले गए। साल 1963 में इसी यूनिवर्सिटी में अचानक उन्हें पता चला कि वो मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित हैं। कॉलेज के दिनों में उन्हें घुड़सवारी और नौका चलाने का शौक़ था लेकिन इस बीमारी ने उनका शरीर का ज़्यादातर हिस्सा लकवे की चपेट में ले लिया। साल 1964 में वो जब जेन से शादी करने की तैयारी कर रहे थे तो डॉक्टरों ने कहा कि उनके पास सिर्फ दो या तीन साल का ही समय है। हॉकिंग इस बात से इतना टूट गए कि उन्होंने शादी से ही इंकार कर दिया, लेकिन जेन शादी की बात पर कायम रहीं और उन्होंने हॉकिंग को भी इसके लिए तैयार कर लिया।

गलती करना अच्छा है 
हॉकिंग अक्सर कहा करते थे कि अगली बार जब आपको कोई यह कहे कि आपने गलती की है तो उससे कहें कि गलती करना अच्छी बात हो सकती है, क्योंकि बिना गलतियों के न तो तुम और न मैं ही जिंदा रह सकता हूं। मैंने देखा है कि ऐसे लोग जो यह विश्वास करते हैं कि वही होगा जो भाग्य में लिखा है, वही सड़क पार करने से पहले गौर से देखते हैं। उनका मानना तक कि ज्ञान एक ऐसी शक्ति है जो आपको बदलाव को स्वीकार करने की क्षमता देती है। मनुष्य को सबसे बड़ी सफलताएं बात करने से हासिल हुई हैं और सबसे बड़ी विफलताओं का कारण बात न करना है। इसलिए हम लोगों को हमेशा बात करते रहने की जरूरत है।

बच्चों को सलाह 
अपने बच्चों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा था कि पहली बात तो यह है कि हमेशा सितारों की ओर देखो न कि अपने पैरों की ओर। दूसरी बात कि कभी भी काम करना नहीं छोड़ो, कोई काम आपको जीने का एक मकसद देता है। बिना काम के जिंदगी खाली लगने लगती है। तीसरी बात यह कि अगर आप खुशकिस्मत हुए और जिंदगी में आपको आपका प्यार मिल गया तो कभी भी इसे अपनी जिंदगी से दूर न जाने दो। गुस्सा मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है, यह सभ्यता को बर्बाद कर देगा।