हनुमान जयंती विशेष: पवनपुत्र के बारे में यह बातें आप नहीं जानते होंगे!

आज पूरा देश हनुमान जयंती मना रहा है। हनुमान जी सभी देवों में ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों से बहुत जल्द खुश हो जाते हैं। पवन पुत्र बजरंगबली के जीवन के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारें में शायद आपको नहीं मालूम होगा। हनुमान जयंती के मौके पर आइए जानते है उनके जीवन की कुछ रहस्यमयी बातें:

हनुमानजी के गुरू
हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य थे। सूर्यदेव और नारदजी के अलावा उन्होंने मातंग ऋषि से भी शिक्षा-दीक्षा ली थी। कहते हैं मातंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है श्रीलंका के जंगलों में मंतग ऋषि के वंशज आदिववासी से हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते हैं।

भाई थे भीम
हनुमानजी पवन पुत्र है। कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इस तरह से भीम और हनुमान भाई हुए।

दुर्गा के हैं सेवक
राम भक्त हनुमान माता जगदम्बा के सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे। इसी वजह से आमतौर पर माता के मंदिर के आसपास हनुमानजी और भैरवजी के मंदिर होते हैं।

पहली हनुमान स्तुति
क्या आप जानते हैं सबसे पहले हनुमानजी की स्तुति किसने की थी? दरअसल सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की थी।

ब्रह्मअस्त्र भी था बेअसर
हनुमानजी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं, लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। उन पर ब्रह्मअस्त्र का प्रयोग बेअसर था।

पहली रामायण लिखी
कहा जाता है की रामायणलंका कांड शुरू होते ही हनुमान जी ने हिमालय जाकर पत्थरों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखनी शुरू कर दी थी। जब रामायण लिखने के बाद बाल्मीकिजी को यह पता चला तो वे हिमालय गए और वहां पर लिखी रामायण पढ़ी।

कैसे पड़ा नाम 
अपनी ठोड़ी के आकार के कारण से इनका नाम हनुमान पड़ा। जानकारों के मुताबिक संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी।