हिमांशु रॉय: डॉक्टर बनना चाहते थे, सीए बने फिर ज्वाइन की पुलिस फोर्स

मुंबई: महाराष्ट्र कैडर के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी हिमांशु रॉय किसी ज़माने में डॉक्टर बनना चाहते थे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी ले लिया था। रॉय के पिता मुंबई के कोलाबा के जाने माने डॉक्टर थे, इसलिए वे खुद भी डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन अचानक उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद हिमांशु ने सीए का कोर्स पूरा किया। हिमांशु अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। जब उन्होंने सीए की पढ़ाई पूरी की तो घरवाले काफी खुश थे, मगर किस्मत को शायद कुछ और मंजूर थे। हिमांशु ने एक बार फिर अपना फैसला बदला और पुलिस फोर्स में शामिल हो गए। वे 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। उन्होंने कई अहम् केस हल किये। जब उन्हें राज्य के आतंकविरोधी दस्ते (एटीएस) में भेजा गया तो उन्होंने वहां भी कई साहसिक कारनामे किए। उन्हीं के कार्यकाल के दौरान एटीएस ने अनीस अंसारी नाम के साफ्टवेयर इंजीनियर को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अमेरिकी स्कूल को उड़ाने की साजिश रच रहा था।

साइबर क्राइम सेल का श्रेय
रॉय की सर्विस में अभी सात साल बचे थे। उनकी पहली पोस्टिंग 1991 में मालेगांव में हुई थी। जहां उन्होंने बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद हुए दंगों को संभाला था। उनके नाम मुंबई की पहली साइबर क्राइम सेल की स्थापना का भी श्रेय जाता है। उन्होंने महिलाओं से संबंधित क्राइम को लेकर एक अगल सेल भी बनाया था।

करियर की छलांग
रॉय ने जितनी तेज़ी से अपराधियों का सफाया किया उतनी ही तेज़ी से करियर में छलांग लगाते गए। वह 1995 में नासिक ग्रामीण के युवा एसपी बने। फिर एसपी अहमदनगर तैनात हुए। उन्होंने डीसीपी के तौर पर इकोनॉमिक आफेंस विंग, ट्रैफिक और पुलिस कमिश्नर के पदों पर काम किया। वर्ष 2009 में वह मुंबई पुलिस के संयुक्त कमिश्नर बनाए गए थे।