होली पर अगर काटे व्रक्ष तो होगी जेल

मुंबई: होली पर पर्यावरण को बचाने के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने सीधे तौर पर चेतावनी जारी कर दी है। बीएमसी ने नागरिकों को चेतावनी देते हुए आग्रह किया है कि यदि होली के अवसर पर पेड़ों या शाखाओं को काटा गया, तो इसके लिए वृक्ष संरक्षण कानून के अंतर्गत सजा दी जाएगी। इसमें सजा के साथ ही नकद जुर्माना भी देना पड़ेगा।

बीएमसी ने इसके लिए सभी नागरिक समूह से आग्रह करते हुए कहा है कि कम से कम लकड़ी का इस्तेमाल होली जलाने में किया जाए, क्योंकि होली का अनुष्ठान समारोह का एक हिस्सा है, लेकिन इससे शहर में वायु प्रदूषण फैलता है और इसके साथ ही वायु की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। बीएमसी के नोटिस के अनुसार वृक्षों को काटकर गिराने वालों को इसके लिए लगभग 1 सप्ताह से लेकर 1 वर्ष के कारावास की सजा का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं पुणे महाराष्ट्र शहर के दिशा निर्देशों के अनुसार ₹1000 से लेकर ₹5000 तक जुर्माना भी देना पड़ेगा। वृक्ष संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत यह कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सभी बागवानी सहायकों को निर्देश दिया गया है और उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कहीं भी वृक्ष गिरने की गतिविधियां अगर दिखाई दें या कोई भी इसमें उल्लंघन कर रहा हो उसे अवश्य ही दंडित करने की कार्यवाही की जाए ।

बताते चलें कि इन दिशा-निर्देशों के बाद से वृक्षों की कटान का सिलसिला काफी कम हो गया है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष संख्या भी काफी कम हो गई है। बीएमसी अधीक्षक जितेंद्र परदेसी के अनुसार पिछले वर्ष वायु प्रदूषण 315 तक पहुंच गया था, जिसमें काफी हिस्सा कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व हवा में घुल गए थे लोगों को हानिकारक जैसों को जलाने से फेफड़ों में श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना भी करना पड़ा था ।

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कुछ समाज उत्सव को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए सहमत भी हुए हैं। त्योहारों पर सूखे रंगों का प्रयोग करने का जनादेश भी है और हम लोगों से इसी बात का आग्रह कर रहे हैं। कि वह सूखे रंगों से ही होली खेले जिससे वातावरण में कम से कम प्रदूषण और कम से कम पानी का इस्तेमाल हो। मुंबई में बड़ी-बड़ी होली तैयार करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यहां का वातावरण पहले से ही काफी खराब स्तर पर पहुंचा हुआ है। हवा की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए लोग प्रतीकात्मक रुप से ही होलिका दहन करने को आगे आ रहे हैं आज के समय की आवश्यकता भी यही है।