सेवा विकास बैंक में 100 करोड़ का कर्ज घोटाला उजागर

सहकार आयुक्त ने दिए 50 लाख से ज्यादा के कर्ज खातों की जांच के आदेश

पिंपरी : संवाददाता – शहर के व्यापारियों की तिजोरी समझे जानेवाले सेवा विकास बैंक की आर्थिक समृद्धता को ग्रहण लगता नजर आ रहा है। पिंपरी चिंचवड शहर खासकर पिंपरी कैम्प के अग्रणी रहे इस बैंक में 100 करोड़ से भी

ज्यादा रकम के कर्ज का घोटाला सामने आया है। बैंक के निदेशक मंडल की धांधली और मनमानी को लेकर आरबीआई और सहकारिता विभाग की जांच में अनियमितता की बात साबित होने के बाद सहकारिता आयुक्त सतीश सोनी ने 50 लाख से ज्यादा बकाया व एनपीए वाले कर्ज खातों की जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने दो दिन पहले ही जांच और ऑडिट के लिए सहकारी संस्था के सह निबंधक (लेखा परीक्षक) आर यू जाधवर की नियुक्ति भी की गई है। बहरहाल इस घोटाले से बैंक में जमा डिपॉजिटर्स के तकरीबन 800 करोड़ की डिपॉजिट पर खतरा मंडराने लगा है।

सेवा विकास बैंक के पूर्व चैयरमैन धनराज आसवानी, सागर सूर्यवंशी, महेंद्र जुनावने, यशवंत केदारी समेत बैंक के 25 शेयर होल्डरों ने आरटीआई के तहत जानकारियां हासिल कर बैंक के मौजूदा निदेशक मंडल की धांधली और मनमानी के बारे में राज्य सहकारिता विभाग से लेकर आरबीआई तक से शिकायतें की थी। आरबीआई के ऑडिट रिपोर्ट में भी कई धांधली और मनमानी साबित हुई है। इसमें सबसे गंभीर बात यह है कि बैंक के लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट में 2016-2017 में बैंक के एनपीए का प्रमाण 14.86 फीसदी और कैश एनपीए का प्रमाण 2.69 फीसदी दर्शाया गया है। इसी प्रकार से 2017-2018 की रिपोर्ट में ये प्रमाण 32.54 फीसदी और 19.40 फीसदी बताया गया है। मगर आरबीआई की ऑडिट रिपोर्ट में दोनों सालों के एनपीए और कैश एनपीए के प्रमाण क्रमवार 30.61, 25.84 व 30.06, 21.21 फीसदी पाया गया है।

शिकायतकर्ता धनराज आसवानी ने शनिवार की शाम एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि, आरटीआई व अन्य जरियों से जानकारी जुटा कर सेवा विकास बैंक के निदेशक मंडल की कई मनमानियों और धांधलियों की शिकायत की है। उनमें बैंक के अध्यक्ष व निदेशक मंडल द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर करोड़ों के कर्ज बांटे जाने की शिकायत अहम है। कर्ज देते वक्त कर्जदार के भुगतान करने की क्षमता देखे बिना, फर्जी बैलेंसशीट और वैल्यूएशन रिपोर्ट के आधार पर कर्ज वितरण, कर्ज राशि का गलत विनियोग, आर्थिक और तकनीकी नजरिए से सक्षमता को जांचे बिना कर्ज वितरण आदि से बैंक के डिपॉजिटर्स और शेयर होल्डरों के आर्थिक हित के लिए खतरा निर्माण हुआ है। पिछले दस सालों से बैंक में निदेशक मंडल के चुनाव नहीं हुए साथ ही शेयर होल्डरों को चार सालों से लाभांश भी नहीं बांटा गया है, यह आरोप भी लगाया गया है।

27.32 करोड़ का वाहन कर्ज घोटाला
सेवा विकास बैंक के कर्ज वितरण में हुई धांधली और मनमानी का एक औऱ उदाहरण सामने आया है। इसमें गलत वैल्यूएशन रिपोर्ट के आधार पर 27 करोड़ 32 लाख रुपए के वाहन कर्ज का घोटाला उजागर हुआ है। आलीशान गाड़ियों की खरीदी के लिए ये लोन दिए गए हैं। इसमें गाड़ियों की कीमत से ज्यादा उसकी वैल्यूएशन बताक़र रेंज रोवर्स, जगुआर, मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, क्रिसलर जैसी महंगी कारों के लिए करोड़ों रुपए के लोन बांटे गए हैं। जिनके नामों से ये लोन बांटे गए हैं आरटीओ में संबंधित गाड़ियां उनके नाम से रजिस्टर्ड ही नहीं है, यह भी सामने आया है।