2 लाख रिश्वत मामला : सब सुपरिटेंडेंट बने गृहिणी और कर्मचारी खेत मजदुर ! उपविभागीय पुलिस अधिकारी को पकड़ने के लिए बदला था हुलिया 

जालना , 22 मई : उपविभागीय पुलिस अधीक्षक को रिश्वत मामले में पकड़ने के लिए मामले को गुप्त रखना जरुरी होता है।  इसके साथ ही पुलिस स्टेशन या कार्यालय में संदेह होने पर शिकायतकर्ता से पैसे लेने के लिए घर बुलाते है।  वहां भी संदेह न हो इसलिए पुणे पुलिस एंटी क्रप्शन ब्यूरो के पुलिस सब  सुप्रीटेंडेंट खुद गृहिणी बन गए. जबकि कर्मचारियों को  खेत मजदुर बनकर घर के आस पास तैनात किया गया  ।   तय समय के अनुसार सुधीर खिराडकर का पंटर संतोष अंभोरे 2 लाख  रुपए लेने के लिए शिकायतकर्ता के घर आया।  इनमे पांच सौ रुपए का एक लाख और दो हज़ार रुपए का एक लाख रुपए दिया।

उसे पड्कने के बाद उसने पांच के सामने कहा कि उसने किसी से पैसे नहीं लिए है।  इसके साथ ही दूसरी टीम भी तैयार थी।  उसने पुलिस उप सुप्रीटेंडेंट सुधीर खिराडकर व पुलिस कांस्टेबल विट्ठल खारड़े को कस्टडी में ले लिया।  दोनों से दिन भर और शुक्रवार की सुबह पूछताछ करने के बाद शुक्रवार की दोपहर गिरफ्तार कर लिया गया।

जालना तालुका के कदवंची शिवारात 4 मई को हुए विवाद में जालना तालुका पुलिस स्टेशन में एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।  एट्रोसिटी में दर्ज केस की जाँच सुप्रीटेंडेंट के पास आती है।  इसके अनुसार यह जांच सुधीर खिराडकर के पास थी।  इस मामले में गिरफ्तार नहीं करने के लिए खिराडकर व उनके सहयोगी ने 5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी।  लेकिन यह रिश्वत देने की इच्छा नहीं होने की वजह से शिकायतकर्ता ने एसीबी से इसकी शिकायत कर दी।  एसीबी की टीम पिछले दो दिनों से जालना में बैठी थी।  लेकिन किसी को इसकी भनक नहीं लगने दी।

पुलिस उप सुप्रीटेंडेंट वर्षारानी पाटिल ने घर में महिला का वेश धारण किया था।  अन्य कर्मचारी धोती व गमछा लेकर खेत मजदुर के रूप में तैनात थे।  इस मामले में दो बार पड़ताल करने के बाद समझौते में 3 लाख रुपए पर बात बनी थी।  इसमें से दो लाख रुपए लेने के लिए पुलिस शिकायतकर्ता के घर आई और एसीबी के जाल में फंस गई।

इतनी दूर जाकर एसीबी  ने जाल बिछा कर उपविभागीय पुलिस अधिकारी को पकड़ने की राज्य की पहली घटना है।