सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों के लिए पहचाना जाएगा 2018

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – साल 2018 सुप्रीम कोर्ट के कई बड़े फैसलों के लिए पहचाना जायेगा। खासकर समलैंगिकता पर कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक रहा है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सहमति से समलैंगिक संबंध बनाए जाने पर इसे अपराध नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को रद्द कर दिया है, जिसके अंतर्गत यदि कोई  व्यक्ति सहमति से समलैंगिक यौन संबंध यानी पुरुष, पुरुष के साथ और महिला, महिला के साथ यौन संबंध बनाता है तो इसे अपराध माना जाता था।

अडल्टरी – सुप्रीम कोर्ट ने इस साल आईपीसी की धारा 497 (अडल्टरी) को भी असंवैधानिक घोषित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आईपीसी की धारा 497 महिला के सम्मान के खिलाफ है। पति कभी भी पत्नी का मालिक नहीं हो सकता है। इस फैसले के बाद शादी के बाद संबंध अपराध नहीं हैं। धारा 497 मनमानी का अधिकार देती थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी के बाहर के संबंधों पर पति और पत्नी का बराबर अधिकार है।

किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है। इस धारा में दूसरे व्यक्ति की पत्नी के साथ विवाहेतर यौन संबंध बनाने पर सिर्फ पुरुष के लिए सजा का प्रावधान था, लेकिन महिलाओं को ऐसे अपराध में दंड से मुक्त रखा गया था। कोर्ट ने कहा कि यह निजता का मामला है। पति, पत्नी का मालिक नहीं है। महिलाओं के साथ पुरुषों के समान ही व्यवहार किया जाना चाहिए।

आधार कार्ड – सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अपने फैसले में आधार को संवैधानिक रूप से वैध बताया। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से जोड़ना जरूरी नहीं है। हालाँकि आधार को पैन कार्ड से जोड़ना जरूरी है। प्राइवेट कंपनियां आपकी पहचान के लिए आपसे आधार नहीं मांग सकती हैं। स्कूल एडमिशन के लिए आधार कार्ड नहीं मांग सकते। उन्हें दूसरे डॉक्यूमेंट के आधार पर एडमिशन देना होगा। सीबीएसई और एनईईटी और यूजीसी जैसी परीक्षाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं है। छोटे बच्चों को आधार कार्ड नहीं होने पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।

सबरीमाला मंदिर फैसला – इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने अपने फैसले में 10 से 50 वर्ष के हर आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश को लेकर हरी झंडी दिखा दी है। हालांकि श्रद्धालुओं के विरोध के चलते अभी तक महिलाओं का मंदिर में प्रवेश संभव नहीं हो पाया है।



कावेरी जल विवाद –
कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि नदी के पानी पर किसी भी स्टेट का मालिकाना हक नहीं है। कर्नाटक को आदेश दिया कि वह बिलिगुंडलू डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 टीएमसी (थाउजेंड मिलियन क्यूबिक) फीट पानी छोड़े। हालांकि कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में 14.75 टीएमसी फीट की कटौती की है। यानी अब उसे पहले से 5% कम मिलेगा। वहीं, कर्नाटक के कोटे में 14.75 टीएमसी का इजाफा किया है।

निर्भया को मिला इंसाफ – 5 साल पहले 16 दिसंबर को हुए निर्भया रेप मामले में पिछले साल मई में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 9 जुलाई को फैसला सुनाया। निर्भया गैंगरेप मामले (निर्भया कांड) में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों की याचिका खारिज कर दी और अब उनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में भी नहीं बदला जाएगा। यानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला – बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला सुप्रीम कोर्ट के लिए बेहद अहम और पेचीदा रहा है, 1992 में अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के बाद राम मंदिर-बाबरी मस्जिद से जुड़े जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई रोजाना की गई है। अब उम्मीद है कि आने वाले साल में इस चर्चित मामले पर फैसला आ जाएगा।