40 लाख लोग न घर के न घाट के 

असम के सीनियर जौर्नालिस्ट ने बताया असम के लोगों की परेशानी 
पुणे । समाचार ऑनलाइन 
असम में दशकों से रह रहे 40 लाख बांग्लाभाषियों के नाम नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं। इसमें 3.29 करोड़ आवदेकों में से 2.89 करोड़ लोगों के ही नाम हैं।  एनआरसी में पंजीकरण के लिए कुल 3.9 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। देश के विभाजन के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले अवैध आप्रवासियों की पहचान के लिए राज्य में वर्ष 1951 में पहली बार एनआरसी को अपडेट किया गया था। 1971 के बाद आसाम में भारी तादाद में शरणार्थी पहुंचे।  जिसके वजह से राज्य में आबादी बढ़ गयी।
इस पर पुणे में असम के वरिष्ठ पत्रकार  समुद्र गुप्त कश्यप ने एनआरसी से जुड़ी कई बाते बताई।  इसके साथ ही असम में लोगों के साथ हो रहे परीशानी के बारे भी बताया।  इस दौरान राजेंद्र पाटिल, संजय नहार आदि उपस्थित थे।  उन्होंने कहा कि, वैसे तो असम के लोग पुरे भारत रहते है। लेकिन पिछले कुछ समय से यहाँ के लोग एनआरसी से काफी परीशान है। एनआरसी में पंजीकरण के लिए अब तक कुल 3.9 करोड़ लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन  40 लाख लोगों का नाम नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस में नहीं है।  जिससे वहां के लोग काफी परीशान है।
इस दौरान होने एनआरसी क्या है इसके बारे भी जानकारी दी।  असम में लंबे समय से ये आरोप लगता रहा है कि पिछले कुछ सालों में यहां बड़े पैमाने पर बांग्लादेश अप्रवासियों ने शरण ली है।  उन्होंने किसी तरह खुद को वहां बाशिंदा माने जाने के दस्तावेज भी तैयार करा लिए हैं, लेकिन इन अप्रवासियों के कारण कई तरह की समस्याएं असम में पैदा हो रही है। असम में पिछले तीन दशकों में इसे लेकर कई बड़े आंदोलन हुए कि अवैध अप्रवासियों को असम से बाहर किया जाए।  1985 में इस संबंध में एक समझौता हुआ।  एनआरसी उसी की परिणति है। एनआरसी का मतलब है नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नाम रजिस्टर्ड आना। इसमें असम के बारपेटा, दरांग, दीमा, हसाओ, सोनितपुर, करीमगंज, गोलाघाट और धुबरी आदि जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
इन 40 लाख लोगों को सरकार एक और मौका दे रही है। जिन लोगों के नाम दूसरे और आखिरी एनसीआर ड्राफ्ट में नहीं आ पाए हैं।  उन्हें असम के संबंधित सेवा केंद्रों में जाकर एक फॉर्म भरना होगा।  ये फॉर्म सात अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध रहेगा।  इस फार्म को जमा करने के बाद अधिकारी उन्हें बताएंगे कि उनका नाम क्यों सूची में नहीं आ पाया।  इसके आधार पर उन्हें फिर एक और फॉर्म भरना होगा, जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक भरा जाएगा। जिसके बाद ही लोगों का नाम इस सूचि में आ सकता है।