5 बेटियों का हुआ जन्म तो गांव ने मारे थे ताने, अब सब उन्हीं की दीवाने, 3 बन गईं अफसर, दो इंजीनियर

बरेली. ऑनलाइन टीम : बेटे और बेटी में फर्क का चश्मा भले ही बदल गया है, लेकिन नजरिया वही है। बेटी पैदा होने पर धुन तो बजती है, लेकिन उसमें मातमी झलक दिखाई देने पड़ती है। कुछ ही परिवार हैं, जहां दकियानुसी विचार कभी नहीं पनपते। ऐसा ही मामला कुछ चंद्रसेन सागर के घर हुआ।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की फरीदपुर तहसील के अंतर्गत चंद्रसेन सागर और मीना देवी के घर पहली संतान के रूप में बेटी का जन्म हुआ। परिवार में दूसरी, तीसरी.. एक-एक कर पांच बेटियां हुईं। परिवार ने हमेशा इन पर रश्क किया, लेकिन गांव वाले ताने मारने में पीछे नहीं रहे। खासकर औरतें, उनकी पत्नी को ऐसे देखती थीं, जैसे उन्होंने 5 बेटियों को जन्म देकर घोर पाप किया हो या मुंह दिखाने लायक ही नहीं। कुछ लोग तो यहां तक कहते सुने गए कि  इन्हें चूल्हा-चौकी कराते रहो, बड़े होकर क्या कलक्टर बनेंगी। कहां से लाओगे, शादी के लिए पैसे। लेकिन समय के साथ उनकी बात सच साबित होती गईं। पांच में से तीन बेटियों ने यूपीएससी परीक्षा पास की। दो बेटियां आईएएस और तीसरी बेटी आईआरएस अधिकारी है। बाकी दो बेटियां भी इंजीनियर हैं। अब परिवार पूरे गांव में सीना तान कर चलता है और जो लोग कभी हंसते थे, इन बेटियों के साथ बैठने के लिए तरसते हैं।

चंद्रसेन सागर ने बताया कि बेटियों के अफसर बनने में कड़ी मेहनत के साथ-साथ उनकी मां मीना देवी का काफी योगदान है। उनकी बेटियों की शुरुआती पढ़ाई बरेली के सेंट मारिया कॉलेज से हुई थी। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड, इलाहाबाद और दिल्ली से बाकी की पढ़ाई पूरी की। तीनों बहनों के ने दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की। चंद्रसेन की पहली बेटी अर्जित सागर ने 2009 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। इसके बाद वह जॉइंट कमिश्नर कस्टम मुंबई में पोस्टेड हो गईं। अर्जित की शादी आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुई है। उनके पति भी आईएएस अफसर हैं। 6 साल बाद वर्ष 2015 में दूसरी बेटी अर्पित को सफलता मिली। वह वर्तमान में वालसाड़ में डीडीओ पर तैनात हैं। वहीं तीसरे और चौथे नंबर की बेटी अश्विनी और अंकिता इंजीनियर हैं। वे अभी मुंबई और नोएडा में प्राइवेट जॉब कर रही हैं।

चंद्रसेना और मीना देवी की सबसे छोटी बेटी आकृति सागर ने 2016 में दूसरे प्रयास में कामयाबी हासिल की। वह वर्तमान में जल बोर्ड की डायरेक्टर के रूप में सेवाएं दे रही हैं। चंद्रसेन की बेटियों ने बताया कि उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने की प्रेरणा अपने मामा से मिली। दरअसल, मामा अनिल कुमार वर्ष 1995 बैच के पश्चिम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकारी थे। इन बेटियों का ख्वाब था कि वह अपने मामा की तरह बड़ी अफसर बनें।