मराठा आंदोलन के बाद 500 करोड़ की अनियमितताओं ने बढ़ाई फडणवीस सरकार की चिंता

पुणे। समाचार ऑनलाइन 
मराठा आंदोलन की आग से झुलसते महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार की चिंता को ‘कैग’ ने बढा दी है। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी कैग की रिपोर्ट ने राज्य सरकार के परिवहन विभाग में साढ़े चार सौ करोड़ और अन्य विभागों में 60 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितताएं सामने लायी है। यह अनियमितताएं 2016-17 के बीच हुईं, कुल 52 विभागों की जांच में 461.01 करोड़ की अनियमितता का खुलासा हुआ। ये गड़बड़ियां नॉन या शॉर्ट लेवी मिसलेनियस खाते की कैटेगरी में आई है। नॉन या शॉर्ट लेवी ऑफ टैक्स के कुल 194 मामलों में 11.93 करोड़ की गड़बड़ी पायी गई, जबकि अलग-अलग अन्य 119 मामलों में सर्वाधिक 449.08 करोड़ रुपये के घपले का खुलासा हुआ।
[amazon_link asins=’B01GFPGHSM’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’256cf434-93f8-11e8-90eb-3571bb358a9a’]
कैग ने जब इन गड़बड़ियों पर संबंधित विभाग से जवाब मांगे और वसूली शुरू की, तब सरकार की नींद टूटी। हालांकि विभाग 291 मामलों में महज 18.61 करोड़ रुपये ही वसूल पाया। अधिकारियों ने अपना दामन बचाने के लिए बाद में ये कार्रवाई की, फिर भी पूरा पैसा नहीं वसूल हो पाया। राज्य सरकार के राजस्व सेक्टर पर वर्ष 2018 की ऑडिट रिपोर्ट नंबर चार में कैग ने इन गड़बड़ियों की पोल खोली है। महाराष्ट्र मोटर व्हीकल टैक्स एक्ट, 1958 के सेक्शन 3(1) के तहत बस आदि परिवहन साधनों पर सरकारी टैक्स लगता है। मार्च 2015 से फरवरी 2017 के बीच सात आरटीओ दफ्तरों के रिकॉर्ड की जांच हुई तो पता चला 97 बसों से 52.32 लाख रुपये ही नहीं वसूले गए। यहां तक कि आरटीओ ने बस मालिकों को नोटिस भी नहीं जारी की थी। कैग की ऑडिट से खुलासा होने के बाद 14 मामलों में महज सात लाख की वसूली हुई। इसी तरह माल ढुलाई वाले 123 वाहनों से 26.72 लाख की वसूली नहीं हुई।
ये गड़बड़ियां आरटीओ के मुंबई ईस्ट, वेस्ट, नासिक, अंबाजोगोई, कल्याण, पनवेल और वाशी कार्यालय से जुड़ीं हैं। परिवहन विभाग ने गाड़ियां आदि उठाने में इस्तेमाल होने वाले क्रेन आदि भारी वाहनों से भी 25.25 लाख की वसूली नहीं की। ये घपले आरटीओ के नासिक, डिप्टी रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर अंबाजगोई, कल्याण, पनवेल, अंधेरी, जलना, नासिक में सामने आईं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जून 2017 में सरकार को ऑडिट की आपत्तियों को लेकर नोटिस जारी हुई मगर फरवरी 2018 तक कोई जवाब ही नहीं दिया गया। स्टेट एक्साइज, शिक्षा सेस, रोजगार गारंटी सेस आदि वसूलने मे भी खेल हुआ। 2016-17 में ऑडिट के दौरान जब 139 यूनिटों की कैग ने छानबीन की तो लाइसेंस फीस सहित वित्तीय अनियमितता की 55.26 करोड़ रुपये की धनराशि का पता चला। कुल 412 मामलों मेंये घपले सामने आए। हालांकि जब कैग ने संबंधित विभाग से जवाब तलब किया तो विभाग ने 398 मामलों में 50.21 करोड़ की धनराशि वसूल ली। छह करोड़ रुपये की अन्य वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आईं।