अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर फहराए 72 तिरंगे

पुणे | समाचार ऑनलाइन

मोहन दुबे :

पेशे से सिस्टम इंजीनियर वैभव पांडुरंग भामा और डॉक्टर सुनील खट्टे अब सफल पर्वतारोही बन गये हैं। 15 अगस्त के मौके पर उन्होंने अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी तंजानिया स्थित किलिमंजारो की 19,300 फीट की ऊंचाई को फतह किया। इस दौरान उन्होंने भारत की आज़ादी के 72वें जश्न पर 72 तिरंगे किलिमंजारो पर्वत पर फहराकर एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। वैभव और सुनील अब मास्को के माउंट एलब्रुश को फतह करना चाहते हैं। उसके बाद दोनों माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगे। वैभव पुणे निवासी हैं, जबकि सुनील सोलापुर के रहने वाले हैं लेकिन नौकरी के चलते फ़िलहाल मुंबई उनका ठिकाना है। वैभव केमिकल इंजीनियर हैं और सुनील डॉक्टर।

लोगों में फिटनेस व खेल के प्रति उत्साह को देखकर दोनों में हाइकिंग के प्रति रुचि बढ़ी और उन्होंने किलिमंजारो फतह करने का फैसला लिया। बिना किसी डिवाइस के सहारे वैभव पांडुरंग भामा और डॉक्टर सुनील खट्टे ने अफ्रीका महाद्वीप के सबसे बड़े पर्वत पर तिरंगा फहराकर देशवासियों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। दोनों की इच्छा है कि आने वाले सालों में दुनिया के अभी ऊंचे पर्वतों पर तिरंगा लहराया जाए।

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किलिमांजारो पर्वत

किलिमंजारो पर चढ़ाई करने की चाह रखने वालों को पहले पर्याप्त जानकारी जुटाने की सलाह दे जाती है। उन्हें यह भी देखना होता है कि वो सभी ज़रूरी उपकरणों से लैस हों और शारीरिक रूप से सक्षम। हालांकि यह चढ़ाई तकनीकी रूप से उतनी चुनौतीपूर्ण नहीं है जितनी हिमालय की है, लेकिन फिर भी ऊंचाई, कम तापमान और अत्यधिक तेज़ हवाएं इसे कठिन और खतरनाक बना देती हैं।

जलवायु-अनुकूलन जरूरी है लेकिन इसके बाद भी सबसे अनुभवी पर्वतारोही भी तुंगता बीमारी से कुछ हद तक पीड़ित हो सकते हैं। किलिमांजारो शिखर इतना ऊंचा है कि उस ऊंचाई पर उच्च तुंगता फुफ्फुसीय शोफ़ (HAPE),या उच्च तुंगता प्रमस्तिष्क शोफ़ घटित हो सकता है।

आमतौर पर पर्वतारोही श्वास अल्पता, हाइपोथर्मिया और सिरदर्द आदि का सामना करते हैं। शिखर की ऊंचाई के चलते अधिकांश पर्वतारोही अपनी यात्रा को बीच में ही समाप्त कर देते हैं, लेकिन वैभव और सुनील मंजिल पर पहुंचकर ही रुके।