77 देशों ने 2050 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने की प्रतिबद्धता जताई

 न्यूयॉर्क, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत, फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड की सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के कई अधिकारियों ने यूएन क्लाइमेट एक्शन समिट (संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई सम्मेलन) में क्लाइमेट एक्शन (जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान) को गति देने की घोषणा की और इस स्वीकार्यता का प्रदर्शन किया कि क्लाइमेट एक्शन की गति को बहुत तेज गति से बढ़ाना होगा। सोमवार को कुल 77 देशों ने ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन साल 2050 तक शून्य करने की प्रतिबद्धता जताई, वहीं 70 देशों ने घोषणा की कि वे या तो 2020 तक अपने नेशनल एक्शन प्लान को गति देंगे या ऐसा करने की गति शुरू कर देंगे।

भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 175 गीगा वाट करने की शपथ ली और बाद में इसे 450 गीगा वाट करने की प्रतिबद्धता जताते हुए घोषणा की कि 80 देश अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन से जुड़ गए हैं।

पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने और ग्रे अर्थव्यवस्था से ग्रीम अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को गति देने के लिए लगभग 100 वैश्विक उद्योगपतियों ने ठोस कदम बताए।

कई देशों और दुनिया के कुछ सबसे बड़े शहरों समेत लगभग 100 शहरों ने जलवायु संकट से निपटने के लिए नए ठोस और उल्लेखनीय कदमों की घोषणा की।

स्माल आईलैंड डेवलपिंग स्टेट्स और लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज (सबसे कम विकसित देशों) समेत कुछ छोटे देशों ने यह जानते हुए भी सबसे बड़ी प्रतिज्ञाएं लीं कि इस समस्या में उन्होंने बहुत कम योगदान किया है।

समापन के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “आपने इसकी गति, सहयोग और लक्ष्य को तेजी दी है। लेकिन हमें लंबा रास्ता तय करना है।”

उन्होंने कहा, “हमें और ठोस योजनाओं, और ज्यादा देशों से और ज्यादा लक्ष्यों तथा ज्यादा व्यापारों की जरूरत है। हमें चाहिए कि सभी सार्वजनिक हों या निजी वित्तीय संस्थानों को एक ही बार में ग्रीन इकोनॉमी (हरित अर्थव्यवस्था) अपना होगा।”