’85 फीसदी लोग 30 की उम्र से पहले स्वास्थ्य बीमा लेने के पक्ष में’

नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)- एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि देश की हेल्थकेयर प्रणाली में लोगों का भरोसा और कम हुआ है। 96.5 प्रतिशत लोगों का हेल्थकेयर प्रणाली पर विश्वास नहीं है। 67.8 प्रतिशत लोग अस्पताल पर भरोसा नहीं करते। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती कीमतों के कारण भारतीयों का झुकाव स्वास्थ्य बीमा के प्रति बढ़ा है। 62.8 प्रतिशत भारतीयों का विश्वास है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बेहद जरूरी है और करीब 85 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि स्वास्थ्य बीमा 30 साल की उम्र तक ले लेना चाहिए।

‘इंश्योरेंस : एन इनवेस्टमेंट इन हेल्थ’ शीर्षक से प्रकाशित गोकी-इंडिया फिट की रिपोर्ट में यह बातें सामने आईं हैं।

प्रिवेंटिव हेल्थकेयर इकोसिस्टम गोकी ने बुधवार को पांचवीं इंडिया फिट रिपोर्ट 2019 जारी की। इंडिया फिट रिपोर्ट 2019 को सात लाख से ज्यादा गोकी यूजर्स की स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट के एक साल लंबे अध्ययन के बाद तैयार किया गया है। यह अपने तरह की पहली रिपोर्ट है जिसका दावा है कि यह भारतीयों के स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल का संपूर्ण विवरण पेश करती है।

गोकी ने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट भारतीयों के स्वास्थ्य की विभिन्न पैमानों पर जांच करती है, जिसमें स्वास्थ्य रक्षा के लिए उठाए गए कदम, लाइफस्टाइल से उपजने वाली बीमारियां (डायबिटीज, दिल की बीमारियां और हाइपरटेंशन), बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स), पोषण, पानी, तनाव, नींद, आंतों की सेहत, रोग प्रतिरक्षा, धूम्रपान और शराब का सेवन आदि शामिल हैं। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में क्या सोचते हैं और क्या इसे स्वास्थ्य में निवेश के तौर पर देखा जा सकता है?

रिपोर्ट से ये संकेत मिलता है कि बीमा पॉलिसी के प्रति बढ़ती जागरूकता और जरूरत के बावजूद सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 20 प्रतिशत लोगों ने अभी भी स्वास्थ्य बीमा नहीं कराया है। इस बारे में आम धारणा यह है कि बीमा प्रणाली काफी भ्रामक है। यह एक प्रमुख कारण है जो लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए हतोत्साहित करती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य बीमा की ऊंची लागत की वजह से बहुत से लोग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं खरीदते।

रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 90 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि स्वस्थ लोगों को अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी पर काफी कम प्रीमियम देना चाहिए। 70 प्रतिशत लोग प्रीमियम पर डिस्काउंट हासिल करने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों के साथ स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े और रिपोर्ट शेयर करने के लिए तैयार हैं।

कंपनी ने बताया कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों ने यह अटूट विश्वास जताया कि कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन (87.9 प्रतिशत) हेल्थ इंश्योरेंस का सबसे बड़ा लाभ है। इसके बाद सबसे बड़ा लाभ बीमा से मेडिकल बिलों का भुगतान (67.7 प्रतिशत) हो जाना है। हेल्थ इंश्योरेंस कराने वाले व्यक्तियों को अच्छे अस्पतालों में इलाज (59.0 प्रतिशत) कराने की सुविधा मिलती है।

बहुत से लोग कोई खास पॉलिसी खरीदने का फैसला इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उन्हें अच्छे अस्पतालों के नेटवर्क में इलाज कराने (42.3 प्रतिशत) की सुविधा मिलती है। इसके अलावा लोग किसी खास बीमा कंपनी से इसलिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं क्योंकि उन्हें आसानी से क्लेम मिल जाता है (41.9 प्रतिशत)। आसानी से सुलभ होने वाले अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा मिलने की संभावना से (40.3 प्रतिशत) लोग स्वास्थ्य बीमा खरीदना पसंद करते हैं। कम लागत, अच्छी कवरेज और लाभ, आसान नियम और शर्तें भी लोगों को स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए आश्वस्त करने के सबसे बड़े कारकों में से एक हैं।

रिपोर्ट से यह भी संकेत मिलता है कि 20 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोग एक बार लाइफस्टाइल बीमारियों से पीड़ित होते हैं, जिसमें डायबिटीज, बीपी, दिल की बीमारियों, थायराइड, तीव्र जीआई और एसिडिटी शामिल हैं। पिछले दो सालों में लोगों में लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस साल लोगों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने के मामलों में 10.1 प्रतिशत से 14.1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। हाईब्लडप्रेशर के रोगियों में भी बढ़ोतरी हुई है। यह 9 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों में हुई बढ़ोतरी और इलाज कराने के बढ़ते खर्च ने लोगों में हेल्थकेयर सिस्टम के प्रति भरोसे का अभाव उत्पन्न किया है। इससे लोग अपने स्वास्थ्य की रक्षा के प्रति बहुत ज्यादा सतर्क हुए हैं।

गोकी इंडिया फिट रिपोर्ट 2019 से यह संकेत मिलता है कि 2017 की तुलना में 2019 में लोग अपनी सेहत ठीक रखने के लिए लोग सुबह दौड़ लगाने की ओर अधिक प्रेरित हुए हैं। 2017 में 22 प्रतिशत लोग अपनी सेहत की खातिर दौड़ लगाते थे। अब यह आंकड़ा 33 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए साइकिल चलाने के प्रति भी लोग ज्यादा प्रेरित हुए हैं। अपनी सेहत को ठीक रखने की कवायद में अब लोग ज्यादा घंटों तक सोने लगे हैं। वे आराम की ओर बहुत ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। इस रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि भारतीय अब ज्यादा सोने लगे हैं। 2017 में जहां भारतीय एक दिन में 6 घंटे 32 मिनट की नींद लेते थे। इस साल वह औसत रूप में एक दिन में 6 घंटे 51 मिनट सोने लगे हैं।

शहरों के आधार पर, बेंगलुरु के लोग सेहतमंद होने के मामले में सबसे आगे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु ने मुंबई को पछाड़ते हुए भारत के सबसे सेहतमंद शहरों की लिस्ट में टॉप पर जगह बनाई है।

एक पहलू जिसने भारतीयों को सबसे ज्यादा चिंता में डाला है, वह प्रदूषण है। वायु प्रदूषण से पिछले कुछ सालों में लोगों की सेहत सबसे ज्यादा खराब हुई है। यह हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं।

इंडिया फिट रिपोर्ट के नतीजों से पता चलता है कि वायु, जल और भोजन की गुणवत्ता को देखते हुए पुणे सबसे ज्यादा रहने लायक शहरों में से एक है। वायु प्रदूषण के संदर्भ में दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है।

‘इंडिया फिट रिपोर्ट 2019’ के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए गोकी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल गोंडल ने कहा, “स्वास्थ्य रक्षा में लोगों का भरोसा और कम हुआ है। स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली को फिर से दुरुस्त करने की बहुत आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य लोगों को बहुत सक्रिय और इलाज संबंधी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली से निषेधात्मक स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली की ओर ले जाना है।”