मुला मुठा नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के लिए 850 करोड़ का कर्ज मंजूर : प्रकाश जावड़ेकर

पुणे : समाचार ऑनलाईन – मुला मुठा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट भारत सरकार और पुणे मनपा का संयुक्त प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने 85 फीसदी अनुदान की घोषणा की है। ऐसे में जायका कंपनी से लिया गया सारा कर्ज केंद्र से मिलने वाले अनुदान से वापस कर दिया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकार-वार्ता में दी।

प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में शिवाजीनगर स्थित वनभवन में मुला मुठा नदी शुद्धिकरण समीक्षा बैठक की गई। इस बैठक में सांसद गिरीश बापट, महापौर मुक्ता तिलक, सभागृह नेता श्रीनाथ भिमाले, मनपा आयुक्त सौरभ राव सहित केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी और मनपा के अधिकारी उपस्थित थे।

850 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार ने नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के लिए 85 फीसदी रकम यानी 850 करोड़ रुपए का अनुदान मंजूर किया है। प्रोजेक्ट के पहले चरण में बाणेर में शुद्धिकरण प्रोजेक्ट का 70 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। जल्द ही मेरे साथ राज्य के मुख्यमंत्री, पुणे के सांसद, पालकमंत्री, महापौर बाणेर में काम का निरीक्षण करेंगे। इस शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के तहत आने वाले चार एसटीपी यानी मैला शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के शुद्धिकरण के काम का भूमि पूजन कर काम की शुरुआत की जाएगी। 1 अगस्त को चार एसटीपी का भूमिपूजन किया जाएगा।

आचारसंहिता लागू होने से पहले भूमि पूजन
महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनाव की आचारसंहिता लागू होने से पहले भूमिपूजन कर लिया जाएगा। चार एसटीपी के शुद्धिकरण के कार्य के लिए महीने डेढ़ महीने में केंद्र सरकार से मंजूरी मिलेगी। उन्होंने कहा कि हर महीने मुला मुठा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट की समीक्षा की जाएगी।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2004 से 2014 तक मुला मुठा नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी गई। लेकिन जब मैं मोदी सरकार में मंत्री बना तो 2016 में शुद्धिकरण प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली। इस प्रोजेक्ट के लिए विदेशी कंपनी जायका से कर्ज लिया गया है। यह कर्ज मोदी सरकार वापस करेगी। अगले चरण में नायडू हॉस्पिटल, भैरोबानाला, तानाजीवाड़ी, धानोरी, मुंढवा और मच्छबिज केंद्र में एसटीपी यानी मैला शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के शुद्धिकरण का काम शुरू किया जाएगा। इन छह प्रोजेक्ट की कुल क्षमता 277 एमएलडी पानी की है।

उन्होंने कहा कि देश की नदियों का प्रदूषण कम करने के लिए गंदा पानी छोड़ने वाली तीन हजार कंपनियों में मीटर लगाया गया है। कंस्ट्रक्शन का डेब्रीज नदी में डालना पर्यावरण के लिए खतरनाक है। इसलिए इस पर नियंत्रण के लिए कंस्ट्रक्शन डिमोलिशन नोटिफिकेशन लाया गया है।