पुलिस डॉग के कुपोषण के लिए तीन पुलिसवालों पर कार्रवाई 

पुणे। पुणे समाचार ऑनलाइन 
बड़े आपराधिक मामलों में अहम भूमिका निभानेवाले पुलिस डॉग की कमजोरी और कुपोषण का शिकार बनने के मामले में पुणे पुलिस के तीन पुलिसवालों को जिम्मेदार मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई किये जाने की जानकारी सामने आयी है। एक पुलिस उपनिरीक्षक के साथ तीन पुलिसवालों से 20 हजार रूपये का जुर्माना वसूलने के आदेश अपर पुलिस आयुक्त ने दिए हैं। इसके अनुसार पुलिस उपनिरीक्षक प्रदीप बाबूराव जाधव को चार हजार, कर्चारी नितिन जगताप को दस हजार और नितिन गायकवाड़ को छह हजार रूपये का जुर्माना लगाया है।

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क्या है आरोप –
डॉग हैंडलर के उपलब्ध न रहने के बावजूद जर्मन शेफर्ड जाति का डॉग खरीदने का प्रस्ताव पुलिस उपनिरीक्षक प्रदीप जाधव ने पेश किया था। डॉग खरीदने के पुरे साढ़े चार माह तक उसके लिए हैंडलर नियुक्त नहीं किया गया। इसके बाद हैंडलर के तौर पर नितिन जगताप और नितिन गायकवाड़ नामक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की गई, उन्होंने डॉग की तंदुरुस्ती, देखभाल, प्रशिक्षण की और ध्यान नहीं दिया। जब इस डॉग को हैंडलर कोर्स प्रशिक्षण केंद्र में भेजा गया तब वह काफी कमजोर लगा और उसे प्रशिक्षण के लिए अपात्र करार दिया गया। जब डॉग को चिकिस्तीय जाँच के लिए पशु चिकित्सालय भेजा गया तब वहां भी उसे कमजोर और कुपोषित करार दिया गया।

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क्या है पूरा मामला –
शिवाजीनगर पुलिस मुख्यालय में पुणे पुलिस के डॉग स्क्वाड का केंद्र है। यहां कार्यरत पुलिस उपनिरीक्षक प्रदीप जाधव ने स्क्वाड के लिए जर्मन शेफर्ड डॉग खरीदने का प्रस्ताव पेश किया था, जबकि उसके लिए कोई हैंडलर उपलब्ध नहीं था। इसके अनुसार पांच जुलाई 2017 को डॉग का पेट ख़रीदा गया। 18 नवंबर 2017 तक उसके लिए कोई डॉग हैंडलर नियुक्त नहीं किया जा सका। इसके बाद नितिन जगताप और नितिन गायकवाड़ नामक पुलिसकर्मियों को बतौर हैंडलर के नियुक्त किया गया। इस डॉग को राजस्थान के अलवर जिले के डेरा स्थित डॉग हैंडलर ट्रेनिंग सेंटर में भेजा गया जहां उसे ट्रेनिंग के लिए अपात्र करार दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2018 को इस डॉग को चंडीगढ़ में भारत- तिब्बत सीमा पुलिस कैंप में  होनेवाली ट्रेनिंग के लिए भेजने के लिहाज से पुणे के पशु चिकित्सालय में जाँच के भेजा गया तब यह डॉग ट्रेनिंग के लिए अपात्र साबित हुआ। उसकी तंदुरुस्ती, देखभाल, खुराक की ओर ठीक से ध्यान नहीं दिए जाने की जानकारी सामने आयी। इसके अनुसार जगताप और गायकवाड़ को दोषी पाया गया।