प्रशंसनीय! 2 लोगों की जान बचाने के लिए छोड़ा ‘रोजा’, निभाया मानवता का धर्म

उदयपुर : कोरोना मरीजों की संख्या बढ रही है साथ ही मरनेवालो की संख्या भी बढ रही है। अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, श्मशान में जगह नहीं है। अस्पताल से लेकर श्मशान तक लाइन में लगना पड़ रहा है। इससे लोग परेशान हो गए हैं, लेकिन इन हालातो में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो मानवता का धर्म निभा रहे हैं। इसी में से एक अकील अहमद हैं, जिन्होने दो महिलाओ के प्राण बचाने के लिए रोजा छोड़ दिया। अपना प्लाज्मा दान कर उन्होने मानवता का धर्म निभाया। उनके इस कदम ने सभी का मन जीत लिया।

मिली जानकारी के अनुसार उदयपुर के पेसिफिक हॉस्पिटल में छोटी सादड़ी निवासी 36 वर्षीय निर्मला चार दिन से और ऋषभदेव निवासी 30 वर्षीय अलका दो दिन से भर्ती थी। दोनों की तबीयत बिगड़ गई। उनका ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था। दोनों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ी।

 डॉक्टरों ने तुरंत व्यवस्था करने को कहा, लेकिन कहीं से बंदोबस्त नहीं हो पा रहा था। इस बीच रक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं तक इसकी सूचना पहुंची। वे भी प्लाज्मा की तलाश में जुटे तो अकील की याद आई, क्योंकि वे 17 बार रक्तदान कर चुके थे और उनका ब्लड ग्रुप भी ए पॉजिटिव है। दोनों महिलाओं को कोई ए पॉजिटिव ही प्लाज्मा दे सकता था। वाहिनी के कार्यकर्ता अर्पित कोठारी ने उनसे प्लाज्मा देने के लिए निवेदन किया। हालांकि अकील ने रोजा रखा हुआ था। वे प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गए, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि खाली पेट प्लाज्मा नहीं ले सकते। अकील दुविधा में फंस गया।

क्या करना है, यह बहुत बड़ा सवाल उसके सामने खड़ा हो गया। अंत में उन्होने मानवता का धर्म निभाने का फैसला लिया। अकील ने पहला रोजा तोड़ना तय किया और अल्लाह का शुक्रिया किया। इसके बाद उन्होने नाश्ता किया।  फिर डॉक्टरों ने टेस्ट किया और प्लाज्मा लिया। यह प्लाज्मा दोनों महिलाओं को दिया गया। अकील ने तीसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया। अकील ने कहा कि मैं अल्लाह से दुआ करता हूँ कि ये महिलाएं जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।