मौत के 10 महीने बाद धुला बेटी से बलात्कार का दाग

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन – दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की मौत के 10 महीने बाद उसे बेगुनाह करार दिया है। मृतक पर अपनी ही नाबालिग बेटी से बलात्कार का आरोप था। निचली अदालत ने उस शख्स को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि व्यक्ति पहले ही दिन से कह रहा था कि वह निर्दोष है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि न ही जांच सही तरीके से हुई और न ही ट्रायल सही तरीके से किया गया, जिसकी वजह से उसे दस साल की सज़ा सुना दी गई।

लड़की ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसके पिता ने 1991 में उसके साथ पहली बार दुष्कर्म किया था, जब वे जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रहते थे। निचली अदालत में लड़की द्वारा रखे गए तथ्यों का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की को इस मामले की जानकारी लोगों को देने से किसी ने रोका नहीं था. लेकिन जैसा उसने कहा कि 1991 में उसके साथ बलात्कार का सिलसिला शुरू हुआ था तो उसने इस बारे में उसने अपनी मां, भाई-बहनों या परिवार के अन्य किसी बुजुर्ग को क्यों नहीं बताया?

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि लड़के और लड़की के बीच शारीरिक संबंधों की संभावना की भी ठीक से जांच होनी चाहिए थी जो कि दुर्भाग्य से नहीं हुई। कोर्ट ने 22 पन्नों के फैसले में कहा कि पिछले तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनज़र यह अदालत, निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं है और आरोपी को बेगुनाह करार देती है।