लोकसभा चुनाव के बाद शिवसेना की गुटबाजी सतह पर

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – लोकसभा चुनाव के बाद पिंपरी चिंचवड़ शहर की शिवसेना इकाई में आंतरिक गुटबाजी सतह पर पहुंच गई है। चुनाव जीतने के बाद सांसद श्रीरंग बारणे के समर्थक नगरसेवकों ने पिंपरी चिंचवड़ मनपा में शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लोकसभा चुनाव में बारणे के प्रचार से कलाटे और उनके समर्थकों ने एक सुरक्षित अंतर बनाए रखा। इसी का बदला बारणे समर्थकों द्वारा लिया जा रहा है। सर्व साधारण सभा में ‘घरभेदी’ का तंज कसने के बाद बारणे समर्थक नगरसेवक एड सचिन भोसले ने अब कलाटे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी शुरू कर दी है। ऐन विधानसभा चुनाव के मुहाने शिवसेना की आंतरिक गुटबाजी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
यूं तो शिवसेना गुटबाजी की आग से पहले से ही झुलसती रही है। मगर लोकसभा चुनाव से इसकी लपटें ऊंची उठती हुई साफ नजर आने लगी है। मावल लोकसभा चुनाव क्षेत्र से शिवसेना के प्रत्याशी श्रीरंग बारणे दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। भारी लीड से मिली जीत के बाद भी बारणे और उनके समर्थक उनके प्रचार से दूरियां बनाए हुए नेताओं को भूला नहीं सके है। इसका प्रमाण बीते दिनों मनपा की सर्वसाधारण सभा में देखा गया। लोकसभा चुनाव में भारी सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभिनंदन का प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान कई नगरसेवकों ने मोदी, अमित शाह की तारीफों के पुल बांधे। मगर बारणे समर्थक नगरसेवक एड सचिन भोसले ने ‘जीत का श्रेय निष्ठावानों को जाता है न कि ‘घर के भेदियों’ को’ कहकर शिवसेना की आंतरिक गुटबाजी को हवा दे दी। हालांकि तब उन्होंने किसी का नामोल्लेख नहीं किया था, मगर अब वे खुलकर बयानबाजी पर उतर आए हैं।
बीते दिन स्थायी समिति की सभा में मनपा के 13 स्कूलों में ई लर्निंग परियोजना चलाने के फैसले पर घमासान मचा। इसकी टेंडर प्रक्रिया शिक्षा समिति की बजाय स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए गठित कंपनी के जरिये पूरी की गई। इस पर शिवसेना के गुटनेता व स्थायी समिति सदस्य राहुल कलाटे ने कड़ी आपत्ति जताई। शिक्षा समिति को अंधेरे में रखकर स्मार्ट सिटी कंपनी के जरिए टेंडर प्रक्रिया चलाने को लेकर उन्होंने मनपा के मुख्य सूचना व तकनीकी अधिकारी नीलकंठ पोमण को आड़े हाथ लिया। इस घमासान पर शिवसेना के नगरसेवक एड सचिन भोसले ने एक बयान जारी कर इसे राहुल कलाटे का स्टंट करार दिया। वे स्मार्ट सिटी कंपनी में बतौर निदेशक नियुक्त नहीं किए जाने का बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं। यही नहीं भोसले ने ई लर्निंग परियोजना का समर्थन भी किया और इसका विरोध करने पर शिवसेना स्टाइल में आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। बहरहाल शिवसेना की आंतरिक गुटबाजी क्या रंग अख्तियार करती है, यह देखना दिलचस्प होगा।