कर्ज में डूबी एयर इंडिया, 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है सरकार

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – जेट एयरवेज के बाद अब एयर इंडिया भी मुश्किल दौर से गुजर रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। बता दें कि अक्टूबर के बाद से एयर इंडिया के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के भी पैसे नहीं होंगे।

खबर के अनुसार, सरकार एयर इंडिया से बाहर निकल सकती है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने बताया कि अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उनका मानना है कि, सरकार को निवेशक द्वारा कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने से कोई आपत्ति नहीं होगी।  बीते वर्ष भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है।

नीति आयोग ने दिया था प्रस्ताव 

कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था।
बता दें कि सरकार ने एयर इंडिया को सात हजार करोड़ रुपये की सॉवरन गारंटी दी थी, जिसमें से कंपनी के पास अब सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये ही बचे ह््ैं। इस राशि का इस्तेमाल वह जल्द कर लेगी।
मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना था कि ये 2,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कंपनी तेल कंपनियों और हवाईअड्डों के संचालकों सहित विक्रेताओं का बकाया चुकाने और कुछ महीनों के लिए वेतन का भुगतान करने के लिए करेगी।

बता दें कि एयर इंडिया को एक महीने में 300 करोड़ रुपये कर्मचारियों को वेतन के रूप में देने होते ह््ैं। इतना ही नहीं, मई माह में भी एयर इंडिया के कर्मचारियों को वेतन 10 दिनों की देरी से मिला था।
कंपनी को करना है 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान

दरअसल इस वित्त वर्ष एयर इंडिया 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है। हालांकि उसके स्वीकार होने की संभावना कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार इस कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इस मामले पर एक अधिकारी का कहना है कि, मकंपनी को जो कर्ज चुकाना था, उसमें से आधे का भुगतान वह अगले वित्त वर्ष के लिए टालने की कोशिश कर रही है।