भारतीय वैज्ञानिक का कमाल… बनाया ‘पेपर-टेस्ट’, चंद मिनटों में होगी कोरोना जांच

वॉशिंगटन. ऑनलाइन टीम : कोविड-19 के परीक्षण और वैक्सीन को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक माथापच्ची कर रहे हैं। कभी कोई दावा करता है, तो कभी कोई। अब भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कोविड-19 का कागज आधारित परीक्षण विकसित किया  है। अनुसंधानकर्ताओं के दल को उम्मीद है कि कोविड-19 के अलावा इसका इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। अभी तक किए गए अनुसंधानों में यह नवीनतम है और अभी तक हर कसौटी पर खरा है। कागज-आधारित ‘इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर’ का उपयोग करने वाली इस जांच में पांच मिनट के अंदर ही वायरस की मौजूदगी के बारे में पता चल सकता है।

दरअसल, अमेरिका में इलिनोइस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 की आनुवंशिक कणों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक ‘इलेक्ट्रिकल रीड-आउट सेटअप’ के साथ एक ‘ग्राफीन-बेस्ड इलकेबायोसेंसर’ विकसित किया है।  उनका मानना है कि इस इलकेबायोसेंसर के माध्यम से जांच में चूंक की कोई गुंजाइश नहीं है। अनुसंधान के अनुसार, इस बायोसेंसर में दो घटक हैं, एक ‘इलेक्टोरल रीड-आउट’ को मापने और दूसरा वायरल आरएनए की उपस्थिति का पता लगाने के लिए…।

अनुसंधानकर्ताओं ने एक प्रवाहकीय फिल्म बनाने के लिए ‘ग्रेफीन नैनोप्लेटलेट्स’ की एक परत फिल्टर पेपर पर लगाई और फिर उन्होंने इलेक्ट्रिकल रीड-आउट के लिए एक सम्पर्क पैड के रूप में ग्राफीन के शीर्ष पर पूर्वनिर्धारित डिजाइन के साथ सोने का एक इलेक्ट्रोड रखा। सोने और ग्रेफीन दोनों में अधिक ‘सेंसिटिविटी’ और ‘कन्डक्टिवटी’ होती है, जो विद्युत संकेतों में परिवर्तन का पता लगाने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म को अल्ट्रासोनिक बनाता है।  विशेषज्ञों के मुताबिक अगर यह टेस्ट पूरी तरह से सफल रहता है तो करोड़ों लोगों को काफी फायदा होगा। खासकर उन देशों के लिए जो इस कोरोनाकाल में अपने आप को आर्थिक कमी की वजह से असहाय महसूस कर रहे हैं।