युति की घोषणा से नाराज मारुति भापकर ने छोड़ी शिवसेना

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – बीते साढ़े चार साल से एक- दूसरे पर कीचड़ उछालने और अपने बूते चुनाव लड़ने की घोषणा करनेवाले भाजपा और शिवसेना ने एक-दूसरे से गले मिलकर युति की घोषणा कर दी है। मगर वरिष्ठों का यह फैसला स्थानीय स्तर पर काफी नापसंद किया जा रहा है। युति की घोषणा के बाद से दोनों ही पार्टियों में ‘लीकेज’ शुरू हो गया है। इसकी आंच पिंपरी चिंचवड तक भी पहुंच गई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सत्तादल की नींद हराम करनेवाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व भूतपूर्व नगरसेवक मारुति भापकर ने शिवसेना से अपना नाता तोड़ लिया है। गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इसकी आधिकारिक घोषणा की है।
भापकर ने बताया कि, उन्होंने अपने राजनीतिक व सामाजिक जीवन की शुरुआत 1982 में शिवसेना से ही की थी। 1995 तक वे शिवसेना के साथ थे विधानसभा चुनाव में दिनरात मेहनत की। हवेली विधानसभा पर भगवा परचम लहराने में उनका भी योगदान रहा। इसके बाद पार्टी में स्थानीय स्तर पर शुरू हुई भद्दी सियासत से तंग आकर उन्होंने पार्टी छोड़ी। 2007 में वे निर्दलीय नगरसेवक भी चुने गए। अण्णा हजारे, मेधा पाटकर, आम आदमी पार्टी, स्वराज इंडिया के साथ भी जुड़े और किसानों व मेहनतकशों के न्याय के लिए आंदोलनों में सक्रिय रहे। 2017 में विभिन्न राजनीतिक दलों से आफर रहने के बाद भी अपने कार्यकर्ताओं से चर्चा- विमर्श के बाद वे फिर शिवसेना से जुड़े। पार्टी ने उन्हें मनपा चुनाव में चिंचवड कालभोर नगर प्रभाग से टिकट भी दिया। मगर स्थानीय नेताओं की कारगुजारियों के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद भी हिम्मत न हारते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग जारी रखी और सत्ताधारी भाजपा के भ्रष्टाचार के कई मामले सामने लाए। कई आंदोलन भी किये मगर शिवसेना के स्थानीय नेता यह कहकर दूरियां बनाते रहे कि यह भापकर की व्यक्तिगत लड़ाई है। उनका पार्टी से कोई सरोकार नहीं है। 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की घोषणा की और अकेले चुनाव लड़ा। बाद में सरकार में शामिल होकर भाजपा पर लगातार हमले किये जाते रहे। दोनों पार्टियां एक- दूसरे पर कीचड़ उछालने में जुटी रही और अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करती रही। मगर अब चुनाव के लिए फिर गठबंधन की घोषणा कर दी। वह भी तब पूरा देश पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के शोक में डूबा हुआ था तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे गठबंधन की मीटिंग कर रहे थे। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में युति की घोषणा की गई। ये दोनों ही पार्टियां राज्य की जनता और सामान्य कार्यकर्ताओं को मूर्ख बना रहे हैं। सभी भाजपा की जुल्मी सरकार से मुक्ति चाहते हैं ऐसे में भाजपा के साथ युति शर्मनाक है।