व्यस्तता का हवाला देते हुए एफटीआईआई के अध्यक्ष पद से अनुपम खेर ने इस्तीफा दिया

पुणे | समाचार | फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट संस्था (एफटीआईआई) के अध्यक्ष पद से अनुपम खेर ने व्यस्तता की वजह से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. साल भर के कार्यकाल में मात्र दो बार एफटीआई आने वाले खेर अपने कार्यकाल में किए गए काम की बजाए अनुपस्थिति को लेकर ज्यादा याद किए जाएंगे.

गजेंद्र चव्हाण को एफटीआई का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद वहां हुए विरोध को पूरे देश ने देखा. इस दौरान हुई राजनीतिक हस्तक्षेप से आंदोलन को मिले बल और इससे संस्था की हुई बदनामी की अब तक भरपाई नहीं हो पाई है. सरकार ने अपनी जिद्द से चव्हाण का कार्यकाल पूरा होने के बाद अनुपम खेर को इसका अध्यक्ष बनाया. उस वक्‍त अनुपम खेर की नियुक्‍ति पर अभिनय और अनुभव संपन्न व्यक्‍ति के चयन की हर तरफ चर्चा हुई थी. लेकिन दुर्भाग्यबस काम की व्यस्तता की वजह से अनुपम खेर संस्था को पर्याप्‍त समय नहीं दे पाए. अक्टूबर 2017 के मध्य में अध्यक्ष बनने के 9 महीने बाद जुलाई 2018 में उनके दर्शन हुए. उसके बाद वे लौटे तो साथ में इस्तीफा लेकर.

पहले गजेंद्र चौहान को काम नहीं करने दिया गया और फिर अनुपम खेर को काम करने का समय नहीं मिलने के कारण संस्था में कई गड़बड़ियों की शिकायत विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है. खुद अनुपम खेर ने जुलाई में विद्यार्थियों की समस्याएं सुनी थी. लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया. सोशल मीडिया पर चल रहे मी टू आंदोलन में एफटीआईआई के विद्यार्थी भी कुद गए हैं. ये सारे मामले बढ़ने से पहले अनुपम खेर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

वरिष्ठ अभिनेता अनुपम खेर ने बुधवार को राष्ट्रीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्था (एफटीआईआई) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. खेर ने व्यस्तता की वजह से इस्तीफा देने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि इतने प्रतिष्ठित संस्था के अध्यक्ष पद पर मौका मिलना मेरे लिए सम्मान की बात है. अनुपम खेर ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी. इस्तीफे में उन्होंने लिखा है कि वर्ष 2017 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अपील पर मैंने यह पद स्वीकार किया था. नियुक्‍ति के वक्‍त मैने छह महीने के अमेरिकी दौरे की बात बताई थी. अमेरिका में एक अंतर्राष्ट्रीय टीवी शो के लिए मैं वहां जाऊंगा. यह कार्यक्रम अभी और 4 महीने चलेगा. ऐसे में 2018-19 के करीब 9 महीने मैं विदेश में रहूंगा. इसी वजह से इतने महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए किसी काम में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हो सकूंगा. यह विद्यार्थियों पर एक तरफ से अन्याय होगा. इसलिए मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं.