अरुंधति राय की किताब ‘अपार खुशी का घराना’ विमोचित

नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)- राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के पांचवें दिन राजकमल प्रकाशन के स्टाल जलसाघर में अरुंधती राय का अंग्रेजी में बहुचर्चित उपन्यास ‘द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ का हिंदी अनुवाद ‘अपार खुशी का घराना’ और उर्दू अनुवाद ‘बेपनाह शादमानी की मुमलकत’ का विमोचन किया गया।

इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद वरिष्ठ कवि और आलोचक मंगलेश डबराल और उर्दू अनुवाद अर्जुमंद आरा ने किया है। उपन्यास को दोनों भाषाओं में राजकमल प्रकाशन ने प्रकशित किया है।

इस मौके पर लेखिका अरुंधती राय, अनुवादक मंगलेश डबराल, अर्जुमंद आरा और राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी से यूनुस खान ने उपन्यास पर विस्तार से बातचीत की।

अरुंधति राय ने 21 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद उपन्यास के आने पर अपने विचार रखते हुए कहा, “1997 में ‘गॉड ऑफ स्माल थिंग्स’ पुस्तक के 2-3 महीने बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने परमाणु परीक्षण किया था और मैं इसके विरोध में थी। तब मुझे परमाणु शक्ति के विरोध का प्रतिरूप बना दिया गया था। उस समय मैंने यह निश्चय कर दिया था कि जब मुझे कुछ कहना होगा, तब लिखूंगी।”

डबराल ने अनुवाद के समय के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “इस उपन्यास के शीर्षक के लिए काफी कश्कमश थी ‘महकमा’ ‘मंत्रालय’ आदि शब्दों के बाद ‘घराना’ पर मुहर लगी’।” उन्होंने आगे कहा, “इस उपन्यास में मुस्लिम एलजीबीटी, दलित समाज के प्रति सहानुभूति देखने को मिलती है।”

‘अपार खुशी का घराना’ एक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है। उसे फुसफुसाहटों में, चीखों में, आंसुओं के जरिए और कभी-कभी हंसी-मजाक के साथ कहा गया है। उसके नायक वे लोग हैं, जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है, जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं।

‘लेखक से मिलिए’ सत्र में लेखक एवं ब्लॉगर प्रभात रंजन की किताब ‘पालतू बोहेमियन’ से यूनुस खान और हिमांशु वाजपेयी ने अंश पाठ किया गया।