मोदी सरकार -1 के ‘संकटमोचक’ अरुण जेटली का 67 वर्ष की उम्र में दिल्ली के ‘एम्स’ हॉस्पिटल में निधन

 

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (उम्र 67 ) का आज दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। पिछले 40 वर्षों से राजनीति के साथ-साथ सीनियर वकील, लेखक, आर्थिक विश्लेषक जैसे विभिन्न स्तरों पर काम करके उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी थी।
मोदी सरकार-1 में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने आर्थिक स्तर पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसका देश के आर्थिक व्यवस्था पर दीर्घकालीन परिणाम हुआ। मोदी सरकार 1 में उन्होंने संकटमोचक के तौर पर जाना जाता था।

दिल्ली यूनिवर्सिटी में विधार्थी परिषद् के अध्यक्ष

अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 में नई दिल्ली के महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा के घर हुआ था। उनके पिता भी वकील थे। 1973 में वे दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से डिग्री हाशिल की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपने लॉ की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान वे 1973 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में विधार्थी परिषद् के अध्यक्ष थे। अरुण जेटली का 24 मई 1982 में संगीता से शादी हुई। उनका रोहन और सोनाली नाम की बेटा और बेटी है।

1991 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य

वकालत करने वाले अरुण जेटली 1991 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने. 1999 के आम चुनाव में उनपर राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई। अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में 13 अक्टूबर 1999 में सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में शामिल किया गया। उन्हें विदेशी निवेश का विभाग सौंपा गया था। दुनियाभर के देशों से निवेश आये इसके लिए पहली बार नया मंत्रालय बनाया आया जिसका कार्यभार उन्हें सौंपा गया था। 23 जुलाई 2000 को उन्हें विधि, न्याय और कंपनी मंत्रालय के केबिनेट मंत्री के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद वे अलग-अलग विभाग में गए और उन्होंने अपने विभाग के साथ न्याय करने का प्रयास किया।

अमृतसर से चुनाव हारे लेकिन वित्त मंत्री बने

2004 के आम चुनाव में भाजपा को भारी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद जेटली को महासचिव के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई। वे एक बार फिर से वकालत की तरफ मुड़ गए। 3 जून 2009 में उन्हें राज्यसभा में विरोधी दल का नेता चुना गया। भाजपा के केंद्रीय चयन समिति के सदस्य बने। 1980 में भारतीय जनता पार्टी शामिल हुआ फिर भी 2014 तक उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा. वे राज्यसभा में चुनकर आते रहे. 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें अमृतसर से अपना उम्मीदवार बनाया। देश भर में मोदी लहर होने के बावजूद अमरेंदर सिंह ने उन्हें चुनाव में हरा दिया। लोकसभा चुनाव में हार मिलने के बावजूद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में कॉर्पोरेट मंत्रालय और रक्षा मंत्री के रूप में शामिल किया। इसके बाद उन्हें वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान सितंबर 2016 में उन्होंने गैरकानूनी आय घोषित करने की योजना लाई. भ्रस्टाचार करके काला धन जमा करने वालों को उन्होंने एक मौका दिया। इसके बा भ्रष्टाचार काला धन, नकली नोट और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और एक हज़ार रुपए के नोट को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इससे देशभर में खलबली मच गई। इसके बाद देशभर में उत्पन्न हुए आर्थिक स्तिथि से उन्होंने मुकाबला किया। सभी तरह नोट बंदी को असफल बताया गया लेकिन उन्हें ने इसके अच्छे पक्ष का समर्थन कर सरकार का बचाव किया।

GST लागू करने के लिए बड़ा प्रयास

देशभर में फैले अराजकता पर नियंत्रण पाने के लिए उन्होंने दिन रात प्रयास किया। इसके बाद मोदी सरकार दवारा लिए गए सबसे बड़ा निर्णय जीएसटी लागू किया। इसमें आने वाली परेशानियों का समय समय पर आकलन कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को साथ लेकर जीएसटी को लेकर उनकी शंकाओ का निवारण करने का प्रयास किया। इसकी वजह से इसे देशभर में अच्छी तरह से लागू करने में सफलता मिली।

ख़राब स्वास्थ्य के कारण 2019 का चुनाव नाह लड़ने का निर्णय

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के आखिर के कुछ महीनों में उनका स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दिया। इसलिए उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। इसके बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने की विनती की थी। उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में वकालत की। भाजपा का नेता होते हए भी उन्होंने सभी पार्टियों की तरफ से पक्षकार की भूमिका निभाई। कांग्रेस के माधवराव सिंधिया, लालकृष्ण आडवाणी के साथ जनता दल के शरद यादव का उन्होंने विभिन्न कोर्टों में पक्ष लिया।

क्रिकेट में उनकी रूचि थी। बीसीसीआई में वे उपाध्यक्ष थे. राजनीति के साथ-साथ उन्होंने कानून पर कई किताबें लिखी। भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर पक्ष रखने में वे हमेशा आगे रहे। 10 अगस्त को जब उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई नेता हॉस्पिटल पहुंचे और का हाल जाना।

9 अगस्त को हॉस्पिटल के भर्ती

खराब स्वास्थ्य के कारण 9 अगस्त को उन्हें एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां उनका इलाज शुरू हुआ। इलाज के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने उनसे तत्काल मुलाकात की। उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने भी एम्स जाकर उनका हालचाल जाना। भाजपा के अन्य दिग्गज नेताओं ने भी एम्स जाकर उनसे मुलाकात की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बह अरुण जेटली से मिलने एम्स गए थे। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, राज्यमंत्री अश्विनी चौबे वही मौजूद थे। जेटली की हालत ख़राब होने पर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। आज आखिरकार उनका निधन हो गया।