जमानत के बावजूद आसाराम को नहीं मिली राहत

जोधपुर। समाचार ऑनलाइन – किशोर उम्र की छात्रा के साथ यौन दुराचार के अपराध में शेष प्राकृतिक जीवन तक जेल में रहने की सजा काट रहे आसाराम को एक मामले में जमानत तो मिल गई मगर उसके बाद भी उसकी रिहाई नहीं होगी। जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या एक में आसाराम तथा शिवा के खिलाफ चल रहे आई टी एक्ट मामले में आसाराम को जमानत मिल गई। इस मामले में राहत मिलने के बावजूद फिलहाल रिहाई सम्भव नहीं है, क्योंकि आसाराम नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा के तहत जेल में बंद है।
आसाराम के वकील निलेश बोहरा तथा गोकुलेश बोहरा ने न्यायालय के समक्ष सीआरपीसी की धारा 437 के अंतर्गत जमानत याचिका पेश कर मामले को झूठा बताते हुए अभियुक्त के लम्बे समय से जेल में बंद रहने के आधार पर जमानत का निवेदन किया। सरकारी अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त पर राजकार्य में बाधा डालने तथा पुलिस अधिकारी को धमकाने के गम्भीर आरोप हैं। पीठासीन अधिकारी लव प्रजापति ने दोनों पक्षों को सुनकर जमानत स्वीकार कर ली। न्यायालय ने पच्चीस हजार रुपये के निजी मुचलके तथा इतनी ही राशि की जमानत पर अभियुक्त आसाराम पुत्र थावरदास को रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले में सह आरोपी शिवा को पहले ही जमानत मिल गई थी।

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गौरतलब है कि आसाराम के खिलाफ पुलिस को धमकाने व दुष्प्रचार करने का उदयमंदिर थाने के तत्कालीन एसएचओ हरजीराम ने मामला दर्ज कराया था। आसाराम एवं शिवा के खिलाफ 353, 355, 384, 117, 189, 120 आईपीसी व 66- ए आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। आसाराम के खिलाफ पुलिस को धमकाने व दुष्प्रचार करने का एक मुकदमा उदयमंदिर थाने के तत्कालीन एसएचओ हरजीराम ने दर्ज कराया था। दरअसल आसाराम के समर्थकों ने उदयमंदिर थानाधिकारी हरजीराम का रावण रूपी कार्टून बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसके अलावा जान से मारने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने इस मामले में आसाराम के खिलाफ जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या तीन की अदालत में चालान पेश किया था। बाद में एडीजे कोर्ट ने आसाराम को आंशिक राहत देते हुए धारा कुछ धाराओं को हटा दिया था। आसाराम को आईटी एक्ट मामले में राहत मिलने के बावजूद फिलहाल रिहाई सम्भव नहीं है, क्योंकि आसाराम नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा के तहत जेल में बंद है।