अब जस्टिस जोसेफ पर केंद्र और कांग्रेस में जंग

नई दिल्लीः केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच अब न्यायमूर्ति के.एम जोसेफ को लेकर जंग छिड़ गई है। कांग्रेस ने जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की कालेजियम की सिफारिश को स्वीकार नहीं करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर कई सवाल खड़े किये हैं। पार्टी ने भाजपा से पूछा है कि क्या दो साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसले की वजह से उनके नाम को मंजूरी नहीं दी गई?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, “ न्यायमूर्ति के.एम जोसेफ की नियुक्ति क्यों रुक रही है?  इसकी वजह उनका राज्य या उनका धर्म अथवा उत्तराखंड मामले में उनका फैसला है?” उन्होंने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई जाएगी, लेकिन यह बात निराश करने वाली है कि न्यायमूर्ति जोसेफ की नियुक्ति रोक दी गई है।

पसंद के न्यायाधीश चाहते हैं मोदी
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने इस फैसले को देश की न्यायपालिका की स्वायत्तता के लिए खतरा करार दिया है। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, “ हिंदुस्तान की न्यायपालिका खतरे में है। अगर हमारी न्यापालिका एकजुट होकर अपनी स्वायत्ता की सुरक्षा नहीं करती तो फिर लोकतंत्र खतरे में है।” सिब्बल ने आगे कहा कि  हम पहले से आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार सिर्फ उन्हीं न्यायाधीशों को चाहती है जिन पर उनकी सहमति है।  कानून कहता है कि जिसे कोलेजियम चाहे वही न्यायाधीश बनेगा, लेकिन यह सरकार कहती है कि कोलेजियम कुछ भी चाहे,  जो हमारी पसंद का नहीं होगा उसे हम नहीं मानेंगे।

क्या है वजह?
सिब्बल ने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से न्यायमूर्ति जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई? गौरतलब है कि मार्च, 2016 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था। कुछ दिनों बाद ही न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था।