…. तो इस वजह से शरद पवार ने शपथ समारोह से बनाई दूरी

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन –  पार्टी और खुद के पोते की हार से हताश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार उन गिने चुने नेताओं में शुमार किये जाते है जो राजनीति में अर्धशतक लगाने के बाद भी बेदाग है । ऐसे में उनके किसी समारोह में पहुंचने या नहीं पहुंचने से जुडी बात खबर बन जाती है । गुरुवार को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी के एक ज़माने के खास दोस्त रहे शरद पवार शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वह बेहद दिलचस्प है । कहा जा रहा है शरद पवार को शपथ ग्रहण समारोह में पसंद की सीट बैठने के लिए नहीं मिली थी इसलिए वह समारोह में शामिल नहीं हुए ।
उनको दी गई सीट प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं थी 
इस पर एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शरद  पवार वरिष्ठ और राष्ट्रीय स्तर के नेता है । वे मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं । शरद पवार के कार्यालय के कर्मचारियों के जानकारी मिली कि शरद पवार को जो जगह दी गई है वह प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है । इसलिए उन्होंने कार्यकर्म में शामिल नहीं होने का फैसला किया।
शरद पवार को मिली थी पांचवीं सीट 
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार शरद पवार को समारोह में पांचवीं सीट में जगह दी गई थी ।
गौरतलब   है कि बुधवार को एनसीपी चीफ शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुलाकात भी की थी । इस मुलाकात से पहले कांग्रेस और एनसीपी के विलय की भी खबरें आई थी । फ़िलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि इस मुलाकात का एजेंडा क्या था ।
कांग्रेस और एनसीपी के विलय की चर्चा तेज़ 
वैसे इस बात की जोरदार चर्चा हो रही है कि अब एनसीपी और कांग्रेस का विलय हो जाना चाहिए। इस विलय का सुझाव देने वाले नेता दोनों दलों में है । पार्टी के नेताओं ने चुपचाप प्रस्ताव भी तैयार कर रखा हैं. इसके तहत एनसीपी चीफ शरद पवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद दिया जाएगा। इस बार लोकसभा में एनसीपी के जीते 5 सांसदों के विलय से कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 57 हो जायगी और कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद भी मिल जाएगा।