भीमा-कोरेगांव: 10 लाख लोगों के जुटने की संभावना, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी 

पुणे : समाचार ऑनलाइन – भीमा-कोरेगांव संग्राम की 201वीं बरसी आज मनाई जा रही है। इस दौरान लाखों के संख्या में लोग भीमा-कोरेगांव में इक्कठा होते है। पिछले साल बरसी के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस दौरान करीब 3 लाख लोग जुटे थे। हिंसा के बाद तीन जनवरी को महाराष्ट्र बंद रखा गया था और इस घटना के बाद एक बड़ी जातीय और विचारधारा की राजनीति की हलचलें तेज हो गईं।

इसको देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। भीमा-कोरेगांव और उसके चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है क्योंकि एक अनुमान के तौर पर वहां पूरे प्रदेश से आठ से 10 लाख लोग इकट्ठा हो सकते हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे में भीम आर्मी को जनसभाएं करने की अनुमति देने के लिए पुलिस को आदेश देने से सोमवार को इनकार कर दिया। इससे पहले मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को भीम सेना के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद, 7 अन्य नेताओं और करीब 350 कार्यकर्ताओं को मलाड, घाटकोपर, कांदीवली, दादर, वर्ली और अन्य इलाकों से हिरासत में लिया।

पुलिस ने इस हिंसा मामले में छापेमारी कर मानवाधिकार, नागरिक अधिकार और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। पुलिस की यह कार्रवाई कोरेगांव-भीमा की 200वीं बरसी से एक दिन पहले पुणे में 31 दिसंबर 2017 को हुई प्रेस कान्फ्रेंस के सिलसिले में शहरी नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के मद्देनजर की गई थी।

क्यों मनाई जाती है बरसी? – 

अंग्रेजों और मराठों के बीच हुए तीसरे ऐतिहासिक संग्राम की बरसी की याद में होने वाले समारोह में लोग यहां एकत्र होते हैं। वह संग्राम सबल अंग्रेजी सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच हुआ था, जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी। अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे। अंग्रेजों ने बाद में वहां विजय-स्तंभ बनाया। दलित जातियों के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय के प्रतीक मानते हैं और यहां नए साल पर एक जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता है।