मकान मालिकों को बड़ी राहत…अब ‘इस’ किराए पर नहीं देना होगा टैक्स, सालाना आय में नहीं जोड़ा जाएगा

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम

कोरोना लॉकडाउन लगाते वक्त भारत सरकार ने मकान-मालिकों से किराया न लेने की अपील की थी। कई लोगों ने किराया नहीं लिया तो कुछ ने अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए किराये की मांग की। कारण इनमें से चाहे जो भी हो, कोरोनाकाल में कई मकान मालिक को किराया नहीं मिल रहा था, लेकिन इसके बार में भी उनको टैक्स देना पड़ रहा था।

अब इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ( ITAT) ने ऐसे मकान मालिकों को बड़ी राहत दी है। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) की मुंबई बेंच ने किराए से होने वाली इनकम के बारे में बताया है कि यदि किसी संपत्ति के मालिक को किराएदार किराया नहीं दे रहा है, तो संपत्ति के मालिक को उस इनकम पर टैक्स नहीं भरना होगा। इस नए आदेश के मुताबिक, ITAT ने कहा कि अगर कोई किराएदार 12 में से सिर्फ 8 महीने का किराया देता है तो टैक्सपेयर्स को सिर्फ 8 महीनों की इनकम पर ही टैक्स देना होगा।
अभी तक माना जाता था कि मकान मालिक को तो किराया मिलना ही है, इसीलिए उससे वित्त वर्ष में किराए की आय पर लगने वाला टैक्स वसूला जाता था, लेकिन अब ये माना गया है कि किरायेदार अगर किराया दे ही नहीं पाता है, तो मकान मालिक पर टैक्स का बोझ डालना गलत है, इसीलिए जो किराया मिला ही नहीं है, उसे आपकी सालाना इनकम में नहीं जोड़ा जाएगा।  ITAT ने कहा कि किराए पर तब ही टैक्स लगाया जाना चाहिए, जब टैक्सपेयर को किराया मिला हो, या फिर किराया मिलने की पूरी संभावना हो।

दरअसल, बड़े शहरों में किराये के मकान में रहने वाले ज्यादातर लोग छोटे शहरों से पढ़ाई या रोजगार के लिए आने वाले लोग होते हैं। लॉकडाउन के कारण इनमें से ज्यादातर लोगों का या तो काम बंद हो गया, या फिर उन्हें घर से ही काम करने को बोला गया। मार्च से सभी कॉलेज बंद हैं, और प्रतियोगिता परीक्षीएं टाल दी गई हैं। ऐसे में कई लोगों के लिए इन बड़े शहरों में रहने और किराया देते रहने का मतलब नहीं। इस कारण अचानक कई फ्लैट खाली कर दिए गए और मकान मालिकों को किराया मिलना बंद हो गया। इस आदेश से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।