‘साधन’ के लिए पैसे बांट रही बिहार सरकार, मार्च तक पटना में नहीं दिखेंगे भिखारी  

पटना. ऑनलाइन टीम 
बिहार के समाज कल्याण मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने दावा किया है कि राजधानी पटना को अगले साल मार्च तक भिक्षावृति से मुक्त करा लिया जाएगा। इसके लिए राजय् सरकार प्रयारत है।

दरअसल, केन्द्र सरकार ने स्टेट सोसाइटी फॉर अल्ट्रा पुअर एंड सोशल वेलफेयर (सक्षम) परियोजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया है। इसके ही तहत पटना में विशेष अभियान चलाया जा रहा है।   इस योजना के क्रियान्वयन पर होने वाले खर्च का 60 फीसदी हिस्सा केन्द्र सरकार देगी। अभी बिहार में पटना समेत चार जिलों में चल रही इस योजना का खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है। इस योजना का उद्देश्य भिक्षुओं की देखरेख और पुनर्वास करना है। वृद्ध और लाचार भिक्षुओं के लिए इलाज की व्यवस्था की गई है। 18-35 वर्ष के भिक्षुकों के लिए कौशल कुटीर के माध्यम से कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।

इसी क्रम में मंत्री चौधरी ने शुक्रवार को छह भिक्षुकों को सहायता राशि दी है। अगले सप्ताह अन्य 12 को राशि दी जाएगी। कुल 100 लाभुकों को राशि देने का लक्ष्य अभी निर्धारित किया गया है। छह लाभुकों में से दो को 10-10 हजार और शेष अन्य चार लाभुकों को 7500-7500 रुपये की राशि चेक के द्वारा दी गई है। 10-10 हजार का चेक डोरवा नट और रमेश पासवान को दिया गया, जबकि  कौशल्या देवी, कुलटा देवी, किरण देवी, मोहम्मद खलील को 75-75 सौ रुपये का चेक प्रदान किया गया।  10 हजार की राशि जिन्हें दी गई है, वे ठेला खींच कर रोजगार शुरू करेंगे और 75 सौ रुपये की राशि उन्हें दी गयी है, जो ठेले पर सब्जी या कुछ अन्य सामग्री बेचेंगे।

समाज कल्याण विभाग के निदेशक का मानना है कि केन्द्र सरकार बिहार में चल रही मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना का मॉडल पूरे देश में लागू करने जा रही है। इसके लिए पहले चरण में दस शहरों का चुनाव किया गया है। समक्ष को योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। भिक्षावृति निवारण के लिए देश के 10 शहरों में पटना को भी शामिल किया गया है। अन्य शहरों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, इंदौर, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु शामिल हैं।