भाजपा-जेडीएस की दाल नहीं गली, या दाल में कुछ काला है?

तुमकुरु

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हर दिन कोई नया समीकरण बनता दिखाई दे रहा है। चंद रोज़ पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा की जमकर तारीफ की थी। मोदी ने उन्हें धरती पुत्र सहित कई उपाधियों से सम्मानित भी किया था, लेकिन अब अचानक से वह देवगौड़ा पर निशाना साध रहे हैं। तुमकुरु की रैली में मोदी ने कांग्रेस और जेडीएस के बीच साझेदारी का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों नूरा-कुश्ती में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर देवगौड़ा पर हमला बोलते हुए कहा कि  2014 में उन्होंने (देवगौड़ा) कहा था कि अगर मोदी जीता तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।

पीएम मोदी के इस बदले रुख के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा और जेडीएस गठबंधन की जो संभावनाएं नज़र आ रही थीं वह अब धूमिल हो गई हैं। जबकि कुछ को लगता है कि ये भाजपा और जेडीएस की कोई नई चाल है। दरअसल, अब तक जितने भी सर्वेक्षण या अनुमान लगाये गए हैं उनमें से अधिकांश में राज्य में त्रिशंकु जनादेश की बात ही कही गई है। अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं तो भाजपा को भी किसी से हाथ मिलाना पड़ेगा और उस स्थिति में जेडीएस उसके काम आ सकती है।  तुमकुरु जिले में 11 विधानसभा सीटें हैं, इनमें लिंगायत और वोकलिंगा मतदाताओं की संख्या तकरीबन बराबर है। वोकलिंगा पर जेडीएस और देवगौड़ा का प्रभाव माना जाता रहा है। वैसे राज्य की बात करें तो लिंगायत समुदाय सत्ता पलटने की ताकत रखता है। इसे भाजपा का वोटबैंक समझा जाता रहा है लेकिन इस बार कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने का कार्ड खेल इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है।

ये हो सकती है वजह
लिहाजा त्रिशंकु की स्थिति में केवल देवगौड़ा ही भाजपा को सत्ता तक ले जा सकते हैं। इसलिए संभव है कि देवगौड़ा और जेडीएस पर हमला आपसी रणनीति के तहत किया गया हो। ऐसा इसलिए कि जो मतदाता भाजपा या जेडीएस में से किसी के साथ जाना चाहता हो, वो छिटककर कांग्रेस के खेमे में न जाए। पीएम द्वारा देवगौड़ा की तारीफ के बाद यह कयास लगाये जाने वाले थे कि कि दोनों पार्टी सत्ता के लिए हाथ मिला सकती हैं। यदि मतदाता भी इन कयासों के फेर में उलझ जाता तो भाजपा और जेडीएस दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता था। क्योंकि दोनों का ही वोटबैंक अलग है। अब इस बात की संभावना ज्यादा हो गई है कि चुनाव बाद यदि सरकार बनाने के लिए साथ की ज़रूरत पड़ती है, तो भाजपा और जेडीएस गठबंधन में बंध जाएं।