भाजपा को ‘विदिशा’ के लिए सक्षम उम्मीदवार की तलाश

भोपाल : पुणे समाचार – मध्य प्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे राजनेता कर चुके हैं, मगर इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस, दोनों ही दलों को सक्षम उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि दोनों ही दल इस सीट से अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं कर पाए हैं।

विदिशा की वर्तमान सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। लिहाजा, इस स्थिति में भाजपा के लिए एक बेहतर उम्मीदवार का चयन करना आसान काम नहीं रह गया है। भाजपा अब तक राज्य के 29 संसदीय क्षेत्रों में से 18 क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है, जिसमें भाजपा का गढ़ बन चुकी विदिशा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार का नाम नहीं आया है।

विदिशा संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए, तो एक बात साफ हो जाती है कि वर्ष 1967 के बाद से हुए लोकसभा के चुनावों में इस सीट से कांग्रेस को सिर्फ दो बार वर्ष 1980 और 1984 में जीत मिल पाई थी। दोनों बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर प्रताप भानु शर्मा जीते थे।

इस संसदीय क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1991 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। वाजपेयी ने यह चुनाव विदिशा व लखनऊ संसदीय क्षेत्र से लड़ा था, बाद में विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद पांच बार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

विदिशा का बीते दो बार से देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं। उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 और 2014 में जीत दर्ज की है, मगर स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उन्होंने अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। भाजपा के लिए सुषमा स्वराज का विकल्प तलाशना आसान नहीं है, वहीं कांग्रेस के दिए भाजपा का गढ़ बन चुके विदिशा संसदीय क्षेत्र से सशक्त चेहरे की तलाश है।

इस सीट पर भाजपा के कई नेता नजर गड़ाए हुए हैं। यही कारण है कि पार्टी असमंजस में है और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।

कांग्रेस ने भोपाल संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है, इसका असर विदिशा सहित आसपास की अन्य संसदीय सीटों पर पड़ने की संभावना है। यही कारण है कि भाजपा भोपाल के साथ विदिशा के लिए सक्षम और प्रभावशाली चेहरे की तलाश में लगी है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, “लोकसभा चुनाव में कोई चुनौती नहीं है, हम 29 में से 29 सीटें जीतेंगे। छिंदवाड़ा और गुना में कांग्रेस से ज्यादा वोट विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिल चुके हैं।”

वहीं कांग्रेस भी इस बार के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की आस लगाए हुए है। मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि राज्य में कांग्रेस को 22 सीटें मिलने की संभावना है।

वर्तमान में राज्य के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से तीन पर कांग्रेस और 26 पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा जहां अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि पिछले लेाकसभा चुनाव से उसकी हालत सुधरे।

एक तरफ जहां भाजपा उम्मीदवार का चयन नहीं कर पाई है, वहीं कांग्रेस को भी सक्षम उम्मीदवार की तलाश है। दोनों ही दलों में चुनाव जिताऊ उम्मीदवार को लेकर मंथन जारी है। दोनों ही दल एक से दो दिन में उम्मीदवार के चयन की संभावना जता रहे हैं।

विदिशा में 12 मई को मतदान होने वाला है। पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में विदिशा संसदीय क्षेत्र के अधीन तीन जिलों- विदिशा, सीहोर व देवास के आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है।