उपसुझावों की आड़ में जारी मनमानी पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कसी लगाम

पिंपरी। सँवाददाता :  सर्वसाधारण सभा में पेश किए जाने वाले प्रस्तावों पर उपसुझावों की बारिश करते हुए पिंपरी चिंचवड़ मनपा के सत्तादल भाजपा द्वारा की जा रही मनमानी पर खुद प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने लगाम कस दी है। उपसुझावों से खुद सत्तादल के नगरसेवक अनभिज्ञ रहते हैं और उन्हें अंधेरे में रखने की बात सामने आई है। इस पर से सभागृह में हो रहे हंगामे को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से शिकायत की गई थी। इस पर पाटिल ने मनपा में अपने पदाधिकारियों को आदेश दिए हैं कि, इसके आगे एक भी उपसुझाव नहीं पेश करें, उसकी बजाय सीधे सीधे सभा के पटल पर प्रस्ताव पेश किए जाएं।
फरवरी 2017 के आम चुनाव में तत्कालीन सत्तादल राष्ट्रवादी कांग्रेस की उपसुझावों की आड़ में की जानेवाली मनमानी पर सभागृह को आड़े हाथ लेनेवाली भाजपा ने सत्ता हासिल की। मगर सत्ता में आते ही अपने विरोध और उस आरोप जिसमें उपसुझावों की आड़ में भ्रष्टाचार करने की बात कही गई थी, को भूला दिया गया। उल्टे राष्ट्रवादी से एक कदम आगे बढाते हुए उपसुझावों की वर्षा करने की शुरुआत की। हर आम सभा और हर प्रस्ताव पर उपसुझाव देने की परंपरा शुरू की गई। बहुमत का जोर दिखाने के चक्कर में यह तक देखने की जरूरत नहीं समझी जाती है कि उपसुझाव पेश किए गए प्रस्ताव से सुसंगत है या नहीं।
विपक्षी दलों के साथ ही खुद सत्तादल भाजपा के नगरसेवकों द्वारा भी उपसुझावों पर कड़ी आपत्ति जताई जा रही है। उनका आरोप है कि कुछ पदाधिकारी नगरसेवकों को अंधेरे में रखकर मनमानी कर रहे हैं। विपक्ष के साथ अपनों की नाराजगी दो साल बाद आनेवाले मनपा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के हित में नहीं है। आखिरकार खुद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को इस मामले में दखल देनी पड़ी। उन्होंने अपने पदाधिकारियों को इसके आगे से कोई भी उपसुझाव पेश न करने की हिदायत देते हुए उपसुझाव की बजाय सभा के पटल पर सीधे प्रस्ताव पेश करने के आदेश दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आनेवाली 20 तारीख को सर्वसाधारण सभा में सत्तादल अपने ही प्रदेशाध्यक्ष के आदेश की अमलबाजी करता है या नहीं ?