पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – पवना पाइपलाइन परियोजना को लेकर सत्तादल भाजपा नेताओं की दोहरी भूमिका सामने आ गई है।श्रम व पुनर्वास राज्यमंत्री बाला भेगड़े पिंपरी चिंचवड़ वासियों के लिए महत्वपूर्ण रही इस परियोजना के पूरी तरह से खिलाफ हैं। जबकि पार्टी की पिंपरी चिंचवड़ इकाई इस मसले पर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप और परियोजना पूरी करना चाहती है।
इस योजना के खिलाफ मावल प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसनों की 8वीं बरसी पर राज्य के श्रम और पर्यायवरण मंत्री बाला भेगड़े ने गुरूवार को कहा कि पिंपरी-चिंचवड मनपा की 400 करोड़ की लागत वाले पवना पाइपलाइन योजना को मावल के किसान लागू नहीं होने देंगे। वहीं, भाजपा की पिंपरी-चिंचवड इकाई का कहना है कि यह योजना पूरी होकर रहेगी। मंत्री का कहना है कि हमने इस योजना का आठ साल से विरोध किया है। किसान इस योजना को लागू नहीं होने देंगे।
गौरतलब है कि 400 करोड़ रुपये की इस परियोजना में पिंपरी-चिंचवड़ से कम से कम 35 किमी दूर स्थित पावना बांध से बंद पाइपलाइन के जरिए सीधे पानी उठाने की योजना है। पिंपरी-चिंचवाड़ में रावत तक पाइपलाइन बिछाई जाएगी। परियोजना से पीसीएमसी को एक हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) अधिक पानी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।साल 2011 में इस परियोजना का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चला दी थी। इस दौरान तीन किसानों की मौत हो गई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर तुरंत रोक लगा दी थी।
इस घटनाक्रम के आठवें साल पर किसानों ने मारे गए किसानों की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मंत्री भेगड़े ने कहा कि अगर इस परियोजना को लागू किया जाता है तो इस क्षेत्र का काफी आर्थिक नुसान होगा। तलेगांव और देहूरोड क्षेत्र के लोग बांध के पानी पर बहुत निर्भर हैं। 70 गाँव और दो एमआईडीसी हैं जिनमें सैकड़ों छोटी, मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ हैं। लोगों की आजीविका खेत की पैदावार पर निर्भर करती है, जो भूजल स्तर नीचे जाने और कुओं और झीलों के सूख जाने पर गंभीर रूप से प्रभावित होगी। कम से कम 18 हजार एकड़ की कृषि भूमि प्रभावित होगी।
इसके अलावा, मावल में ग्रामीण क्षेत्र तेजी से शहरीकृत हो रहे हैं, जिसका मतलब है कि अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष चला गया था, जिसने जल संसाधन प्राधिकरण को यह मामले सौंपा था। जल संसाधन प्राधिकरण ने फैसला किया था कि पीसीएमसी एक साल में आठ महीने के लिए बंद पाइपलाइन से पानी उठा सकती है और चार मानसून महीनों के दौरान नदी से पानी उठाना सकती है। उन्होंने कहा कि किसानों ने इस फैसले को ठुकरा दिया था और किसानों ने मावल के गहुंजे में एक बांध बनाकर वहां से पानी उठाने की सलाह दी थी। हालांकि पिंपरी चिंचवड़ मनपा ने इस सुझाव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
पिंपरी चिंचवड़ मनपा में भाजपा की सत्ता है। पार्टी के स्थानीय नेताओं का कहना है कि हम इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमे पूरा विश्वास है कि यह प्रोजेक्ट होकर रहेगा। हमने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से हस्तक्षेप करने को कहा है। स्थानीय स्तर पर यह मामला नहीं सुलझाया जा सकता इसलिए हमने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि साल 2011 में राष्ट्रवादी की वजह से यह मुद्दा जटिल हो गया था। किसानों की अनुमति के बिना उनकी जमीन लेने की कोशिश की गई। उनको बिना विश्वास में लिए ही उनकी जमीन पर इस पाइपलाइन को शुरू करने की कोशिश की। इसके चलते किसानों में आक्रोश है।