नीतीश और भाजपा दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरत

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन – तीन राज्यों में हार के बाद भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति को आकार देने में जुट गई है। हालांकि, उसके सामने सबसे बड़ी समस्या सहयोगी पार्टियों की नाराज़गी है। माना जा रहा था कि भाजपा बिहार में जदयू से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बिहार में एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के एनडीए से अलग होने के बाद रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी की नाराजगी के बाद सीट बंटवारे पर फंसा पेंच सुलझा लिया गया है।

हाल ही में एनडीए की घटक भाजपा, जदयू और लोजपा के बीच सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया, लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि पार्टियों के बीच तल्खी बनी हुई है। बिहार से भाजपा सांसद गोपाल नारायण सिंह के बयान से ऐसा ही प्रतीत होता है। उनका कहना है कि जेडीयू और भाजपा दोनों बराबर के भागीदार हैं, कोई तुलना नहीं होनी चाहिए। अगर भाजपा को नीतीश की जरूरत है तो नीतीश को भी भाजपा की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे भारत की तरह बिहार में भी हमारा मुख्य ब्रांड नरेंद्रभाई मोदी जी हैं।

बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर रविवार (23 दिसंबर) को सहमति बनी। सीटों की संख्या को लेकर हुए समझौते को अंतिम रूप देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा की थी कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटों में से भाजपा और जदयू 17-17 और लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।