‘टूटी’ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी… ओली और प्रचंड ने ‘असली’ होने का दावा किया 

काठमांडू. ऑनलाइन टीम : नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी आखिर टूट गई। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके विरोधी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’   अब खुद को ‘असली पार्टी’ बताने में जुट गए हैं।  स्थिति यह है कि  ‘प्रचंड’  खेमे ने मंगलवार को केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ओली को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने और पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की घोषणा कर दी।  यही नहीं, पार्टी के खिलाफ जाने के चलते ओली को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।’ रिपोर्ट में पार्टी नेताओं के हवाले से कहा गया कि प्रचंड को बुधवार को संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। वहीं, पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि केंद्रीय समिति की अगली बैठक गुरुवार के लिए प्रस्तावित की गई है।

दूसरी तरफ, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई।  बताया गया कि ओली ने केंद्रीय समिति में अपना बहुमत प्राप्त करने के लिए यह कदम उठाया है। यही नहीं, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से ओली ने मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया। सत्तारूढ़ दल के दो प्रमुखों में से एक ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी की केंद्रीय समिति के अपने करीबी सदस्यों के साथ बैठक के दौरान नई समिति की घोषणा की। ओली खेमे की बैठक में नारायण काजी श्रेष्ठ को पार्टी प्रवक्ता के पद से हटाने का भी निर्णय लिया गया।

बता दें कि सत्तारूढ़ दल एनसीपी का गठन मई 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) के बीच विलय के बाद हुआ था। अब दोनों ही खेमों ने पार्टी की मान्यता एवं चुनाव चिन्ह को अपने पास रखने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।

इस बीच में केपी ओली सरकार के संकट में आने से टेंशन में आए चीन की राजदूत हाओ यांकी ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी से मंगलवार शाम को मुलाकात की है। नेपाली राष्ट्रपति पीएम ओली की समर्थक हैं और उन्होंने ही आम चुनाव कराए जाने की घोषणा की थी।  इस बीच,  विशेषज्ञों का कहना है कि ओली भारत के लिए स्वीकार्य प्रधानमंत्री नहीं थे। उनका कहना है कि नेपाल का अगला प्रधानमंत्री ओली के मुकाबले भारत का ज्यादा समर्थक हो सकता है।