बजट 2019: जानें कैसे तैयार किया जाता हैं आम बजट

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – कोई भी देश के लिए बजट बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे ही पुरे साल में देश भर में कहां क्या करना है। वह निति तैयार किया जाता है। इस साल पीयूष गोयल 1 फरवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश करेंगे। बता दें कि बजट एक फ्रांसिसी शब्द से बना है। फ्रांस में Bougette शब्द का अर्थ चमड़े का एक छोटा थैला होता है। इसी से बजट शब्द बना है। इसका प्रयोग पहली बार 1803 में फ्रांस में ही किया गया था।

वहीं 1733 में इंग्लैंड में इस शब्द का प्रयोग जादू के पिटारे के अर्थ में भी किया गया था। बाद में इसका अर्थ बदल गया। बाद में उस छोटे से थैले के भीतर के सामानों के अर्थ में इसका उपयोग किया जाने लगा। बजट एक सरकारी डॉक्यूमेंट होता है जिसमें सरकार की कमाई और खर्च का ब्यौरा होता है। इसमें पिछले 1 साल का ब्यौरा शामिल किया जाता है। इसके अलावा सरकार अगले वर्ष किस मद में कितना खर्च करेगी इसकी जानकारी भी बजट में होती है। इसमें भावी योजनाओं का भी जिक्र होता है।

इसमें 3 साल के आंकड़े होते हैं। सकार को बजट पास कराने के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत होती है। अगर सरकार बजट से अधिक रकम खर्च करती है तो उसे बजट का संशोधित अनुमान भी पेश करना पड़ता है। जिस साल चुनाव होता है उस साल अंतरिम बजट पेश किया जाता है। दरअसल सरकार फरवरी में बजट पेश करती है और चुनाव अप्रैल और मई में होते हैं। जिस सरकार का कार्यकाल 2 महीने में खत्म होने वाला हो वो पूरे साल का बजट पेश नहीं कर सकती है। पूर्ण बजट नई चुनी हुई सरकार ही पेश करती है।

ऐसे तैयार किया हैं बजट –
हर साल सितंबर के महीने में बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके लिए केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों को सर्कुलर भेजा जाता है। इसमें इन विभागों के खर्च संबंधी जरूरतों के बारे में पूछा जाता है। इसके बाद नवंबर में वित्त मंत्रालय अलग-अलग समूहों से बजट को लेकर बैठक करता है। इसमें उद्योग संगठन, किसान समूह, ट्रेड यूनियन और व्यापार मंडल होते हैं। इनसे बजट को लेकर मांगे पूछी जाती है। वित्त मंत्रालय में दूसरी तरफ बजट को लेकर सचिव, सीबीडीटी, सीबीईसी के अध्यक्षों के साथ भी बैठकें होती रहती हैं। टैक्स से जुड़े सभी सुझाव टैक्स रिसर्च यूनिट के पास जाते हैं। इसके बाद स्टेकहोल्डहरों से बैठक होती हैं |

आखिरी के 7 से 10 दिनों में बजट की छपाई शुरू होती है। इनकी छपाई वित्त मंत्रालय में ही होती है। इस दौरान वित्त मंत्रालय के अधिकारी, एक्सपर्ट, प्रिंटिंग से जुड़े लोग और स्टेनोग्राफर्स वित्त मंत्रालय में ही रहते हैं। आखिरी के दिनों में इनको सीधे परिवार से बातचीत करने की मनाही होती है। बजट बनाने वालों पर इंटेलिजेंस ब्यूरों के अधिकारी नजर रखते हैं। स्टेनोग्राफर तक पर नजर रखी जाती है। इसका सिर्फ 1 उद्देश्य होता है कि बजट लीक न हो।

वहीं मोबाइल जैमर के जरिए जानिकारियों को लीक होने से बचाया जाता है। बजट पेश करने से पहले सरकार राष्ट्रपति की मंजूरी लेती है। इसके बाद कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा होती है। इसके बाद संसद में बजट पेश किया जाता है। सुबह 11 बजे वित्त मंत्री लोकसभा में इसको पेश करते हैं।